नई दिल्ली: भारतीय सेना ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अत्यंत सफल कॉम्बैट मिसाइल लॉन्च किया. यह परीक्षण दक्षिणी कमांड की ब्रह्मोस यूनिट द्वारा ट्राई-सर्विसेज अंडमान और निकोबार कमांड के सहयोग से किया गया. बेहद सटीकता के साथ लक्ष्य को ध्वस्त करने वाले इस लॉन्च ने भारत की लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को और भी अधिक प्रभावी ढंग से साबित कर दिया.
परीक्षण में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल उन्नत गाइडेंस सिस्टम से लैस है. इसकी सबसे बड़ी शक्ति इसकी सुपरसोनिक रफ्तार है. यह आवाज की गति से लगभग तीन गुना अधिक स्पीड से उड़ान भरती है. इतनी अधिक गति के बावजूद मिसाइल का लक्ष्य पर सटीक प्रहार इसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली और विश्वसनीय क्रूज मिसाइल सिस्टम्स में स्थान दिलाता है.
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मिसाइल दुश्मन के रडार को चकमा देने, तेजी से दिशा बदलने और अंतिम क्षण में भी सटीक हमला करने में सक्षम है. यही कारण है कि ब्रह्मोस को भूमि, समुद्र और हवा, तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और सफल कदम
सफल प्रक्षेपण के बाद भारतीय रक्षा तंत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की भावना और मजबूत होती दिखाई देती है. यह परीक्षण न केवल भारत की तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी सेनाएं पूरी तरह सक्षम और तैयार हैं.
दक्षिणी कमांड के अधिकारियों के अनुसार, यह परीक्षण आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक उपलब्धि है. लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों या शत्रु के गहरे ठिकानों पर प्रहार के लिए ब्रह्मोस एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में उभर चुका है.
रणनीतिक संतुलन में भारत की पकड़ मजबूत
दुनिया के कई रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि ब्रहोस मिसाइल का यह सफल परीक्षण भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा समीकरणों में और भी अधिक मजबूत स्थिति में ले जाता है. भारत के पास अब ऐसी स्ट्राइक क्षमता है, जो किसी भी खतरे का तुरंत और प्रभावी जवाब देने में सक्षम है.
















