मंगलवार शाम मुंबई में मोनोरेल के यात्रियों ने उस वक्त भय का अनुभव किया जब एक रेक अचानक बीच रास्ते पर रुक गई. करीब 200 लोग दो घंटे तक अंदर फंसे रहे और दम घुटने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो ने इस घटना की हकीकत दिखा दी. इनमें यात्री खुद को हवा पहुंचाने के लिए हाथ से पंखा झलते और खिड़कियां तोड़ने की कोशिश करते नजर आए. बाद में दमकल कर्मियों ने खिड़कियां तोड़कर उन्हें बाहर निकाला.
घटना मंगलवार शाम 6:15 बजे चेंबूर और भक्ति पार्क स्टेशन के बीच की है. जिस वक्त मोनोरेल की बिजली अचानक गुल हो गई और रेक ऊंचे कॉरिडोर पर ही थम गई. अंदर बैठे यात्रियों ने जैसे-तैसे मोबाइल से वीडियो बनाए, जिनमें लोग गर्मी और घुटन से परेशान होकर सांस लेने के लिए खिड़कियां तोड़ने की कोशिश करते दिखे. कई यात्री अपने कपड़ों और कागज से हवा करते हुए नजर आए. यह नजारा सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद तेजी से वायरल हो गया.
दमकल की एंट्री और रेस्क्यू ऑपरेशन
करीब दो घंटे तक हालात बिगड़ने के बाद दमकल विभाग मौके पर पहुंचा. तीन हाइड्रोलिक सीढ़ियों की मदद से रेस्क्यू टीम मोनोरेल तक पहुंची और खिड़कियां तोड़कर अंदर दाखिल हुई. वीडियो में दिखा कि दमकलकर्मी कैसे टूटी खिड़कियों से यात्रियों को एक-एक कर बाहर निकाल रहे हैं. घबराए हुए लोग सीढ़ियों पर चढ़कर धीरे-धीरे नीचे उतरते नजर आए.
यात्रियों की हालत और इलाज
बचाए गए कुछ यात्रियों ने बताया कि उन्हें अंदर घुटन और चक्कर जैसी स्थिति महसूस हुई. कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई और उन्हें एंबुलेंस से नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया. रेस्क्यू टीम ने सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई.
जिम्मेदारी और सवाल
इस घटना ने एक बार फिर मुंबई मोनोरेल की तकनीकी खामियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. दो घंटे तक 200 यात्रियों का ट्रैक पर फंसा रहना एक बड़ी लापरवाही माना जा रहा है. सोशल मीडिया पर आए वीडियो ने इस घटना की भयावहता को और उजागर कर दिया है. लोग अब इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसी स्थिति में सुरक्षा प्रबंधन की व्यवस्था कितनी मजबूत है.