भारत समेत पूरी दुनिया की निगाहें अलास्का के एंकरेज शहर में आयोजित उस महत्वपूर्ण बैठक पर टिकी रहीं, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने आए. इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ठोस पहल करना था. बैठक के बाद दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और वार्ता को सकारात्मक करार दिया. हालांकि, सीजफायर पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई.
बैठक से जुड़ी अहम बातें
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बातचीत कई बिंदुओं पर सफल रही है, लेकिन कुछ अहम मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं. वहीं, पुतिन का मानना था कि यह बैठक कठिन परिस्थितियों में हुए रिश्तों को फिर से मजबूत करने का अवसर है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वार्ता भले ही सभी सवालों का हल न दे सकी हो, लेकिन इसने शांति की संभावनाओं को अवश्य खोला है.
शांति वार्ता की दिशा
एक्सपर्ट के अनुसार, यह बैठक रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अगली बैठक कब और कहां होगी. दिलचस्प बात यह रही कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में व्लादिमीर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को अगली मुलाकात के लिए मॉस्को आने का निमंत्रण दिया. जिस पर ट्रंप ने कहा कि इस पर आगे विचार किया जाएगा.
अगर ट्रंप होते तो युद्ध टल जाता
पुतिन ने वार्ता के दौरान एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि यदि 2022 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप होते, तो यूक्रेन युद्ध शायद कभी शुरू ही नहीं होता. उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते बेहद कठिन दौर से गुज़रे हैं. लेकिन अब सीधे संवाद स्थापित होना इस रिश्ते के लिए सकारात्मक संकेत है.
पुतिन की प्रशंसा
पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने यूक्रेन में शांति बहाल करने की वास्तविक इच्छा और ईमानदार प्रयास दिखाए हैं. पुतिन के अनुसार, इस युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस की सुरक्षा चिंताओं और युद्ध के मूल कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है. उन्होंने साथ ही यह भी माना कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित होना उतना ही जरूरी है.
एक बैठक से नहीं निकलेगा युद्ध का हल
पुतिन ने उम्मीद जताई कि आपसी समझ और वार्ता के जरिए यूक्रेन में शांति स्थापित हो सकेगी. हालांकि, यह भी साफ है कि केवल एक बैठक से युद्ध खत्म नहीं होगा. आगे की बातचीत और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही इस संघर्ष को समाप्त करने का रास्ता खोल सकते हैं.