बागपत: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. बागपत जिले में 69 युवतियां दोबारा दुल्हन बनने की तैयारी में थीं, लेकिन प्रशासन की सतर्कता से यह खेल पकड़ में आ गया. इन युवतियों ने खुद को अविवाहित बताकर सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. योजना के तहत हर जोड़े को 60 हजार रुपये नकद और जरूरी घरेलू सामान दिया जाता है.
सरकार द्वारा 31 अक्तूबर तक सामूहिक विवाह योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. बागपत जिले में कुल 593 आवेदन प्राप्त हुए. इसके बाद सूची ब्लॉक स्तर पर भेजी गई और सचिवों द्वारा सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई. सत्यापन में पता चला कि 69 युवतियां पहले से ही शादीशुदा हैं और उन्होंने हाल ही में एक-दो महीने पहले ही विवाह किया था.
किस-किस जगह से आए मामले?
बागपत शहर से सबसे ज्यादा 16 युवतियां पकड़ी गईं. बिनौली ब्लॉक में 12 और छपरौली में 10 युवतियों ने फर्जी तरीके से आवेदन किया था. बाकी मामलों में भी अन्य ब्लॉकों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. जिला प्रशासन ने सभी 69 युवतियों के आवेदन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए हैं और उन्हें योजना से अपात्र घोषित किया गया है.
क्या है इस योजना का उद्देश्य?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की शादी में आर्थिक सहायता प्रदान करना है लेकिन इस योजना का फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों ने बेईमानी का सहारा लिया. जिला विकास अधिकारी राहुल वर्मा ने बताया कि योजना के तहत आए सभी आवेदनों का सावधानीपूर्वक सत्यापन कराया गया था. सत्यापन के दौरान कई मामलों में आवेदनकर्ताओं के विवाह प्रमाण और गांव के रजिस्टरों में दर्ज रिकॉर्ड में अंतर मिला, जिसके बाद जांच तेज की गई.
अधिकारियों ने क्या दी है चेतावनी?
राहुल वर्मा ने कहा कि जिन युवतियों ने झूठी जानकारी देकर आवेदन किया था, उनके खिलाफ जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है. आवश्यक होने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जो भी व्यक्ति योजना का दुरुपयोग करेगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.
सभी ब्लॉकों को दिए गए ये निर्देश?
प्रशासन का कहना है कि इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को लाखों रुपये का नुकसान हो सकता था, लेकिन समय रहते जांच कर धोखाधड़ी का पर्दाफाश कर दिया गया. अब सभी ब्लॉकों को निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में आवेदन करने वालों का सत्यापन गांव स्तर पर पहले ही सुनिश्चित कर लिया जाए, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
















