Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है, जिसे जिवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. यह व्रत खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस साल यह पावन व्रत 14 सितंबर 2025 को रखा जाएगा. लेकिन इस व्रत से जुड़ी कुछ रस्मों की शुरुआत एक दिन पहले से ही हो जाती है. माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि यदि यह व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाए, तो संतान को दीर्घायु और सुखमय जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
हर व्रत की तरह जितिया व्रत के भी कुछ नियम होती हैं. अक्सर लोग भूलवश छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि इस दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए. आइए विस्तार से जानते हैं जितिया व्रत में क्या करें और क्या न करें.
व्रत के दौरान पानी या भोजन न करें
जितिया व्रत पूरी तरह निर्जला रखा जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत पूरा होने तक पानी और अन्न का सेवन नहीं करतीं. व्रत के बीच कुछ भी खाने या पीने से व्रत टूट जाता है और उसका फल प्राप्त नहीं होता.
टूटे या गंदे धागे का उपयोग न करें
इस व्रत में संतान की सुरक्षा के लिए जितिया का धागा पहनाया जाता है. ध्यान रहे कि यह धागा टूटा हुआ या गंदा नहीं होना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
क्रोध और अपशब्दों से बचें
व्रत के दौरान व्रती महिला को अपने विचार और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए. क्रोध, झगड़ा और अपशब्दों का प्रयोग संतान के जीवन पर नकारात्मक असर डाल सकता है.
तामसिक भोजन वर्जित है
इस दिन घर में मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता. व्रती महिला के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन करना चाहिए.
सांसारिक कार्यों में अधिक व्यस्त न रहें
इस दिन घर-परिवार के कामों में अधिक उलझने के बजाय ईश्वर का ध्यान और पूजा में समय देना चाहिए. माना जाता है कि मन, वचन और कर्म से किए गए कार्य का असर सीधा संतान पर पड़ता है.
जितिया व्रत में क्या करें?
- व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा निभाएं.
- नहाय-खाय के दिन लहसुन-प्याज का सेवन न करें.
- मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाना शुभ माना जाता है.
- व्रत से पहले घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें.
- शाम को माता जितिया की विधि-विधान से पूजा करें.
- नवमी तिथि पर व्रत का पारण मडुआ की रोटी और साग खाकर करें.
- व्रत के बाद दान अवश्य दें.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हमारा चैनल इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
















