जीएसटी सुधारों को लेकर कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोमवार को सरकार के ‘जीएसटी बचत उत्सव’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सुधार वास्तव में देर से और अधूरे किए गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार हर नीति को ‘इवेंट’ बना देती है, जबकि असली सुधार पर ध्यान नहीं देती.
जीएसटी कांग्रेस की पहल
जयराम रमेश ने कहा कि 2006 से 2014 तक जीएसटी का केवल एक मुख्यमंत्री ने विरोध किया था और वही आगे चलकर 2014 में प्रधानमंत्री बने. रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2017 में जीएसटी लागू कर इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताया, लेकिन असल में यह कांग्रेस की ही पहल थी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहा था क्योंकि यह न तो गुड था और न ही सिंपल.
अधूरे सुधार और मुनाफाखोरी का खतरा
कांग्रेस नेता ने कहा कि मुनाफाखोरी रोकने के लिए पहले जो नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी बनाई गई थी, उसे खत्म कर दिया गया. अब सरकार कह रही है कि टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे, लेकिन इसकी कोई कानूनी गारंटी नहीं है. रमेश ने इन सुधारों को ‘जीएसटी 2.0 नहीं, बल्कि जीएसटी 1.5’ करार दिया.
इवेंट पॉलिटिक्स का आरोप
रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘जीएसटी बचत उत्सव’ को भी राजनीतिक शो बताया. उन्होंने कहा, ‘यह गवर्नेंस नहीं, गवर्न-इवेंट है. सरकार हर चीज को इवेंट बना देती है और असली मुद्दों से ध्यान भटकाती है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि देश की अर्थव्यवस्था को जीएसटी और नोटबंदी ने दो बड़े झटके दिए, जिनके असर से अब तक लोग उबर नहीं पाए हैं.
कांग्रेस का श्रेय और केंद्र की प्रतिक्रिया
जयराम रमेश ने कहा कि जीएसटी का प्रस्ताव पहली बार 2006 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पेश किया था. 2010 में इसे संसद में लाया गया और लंबी प्रक्रिया के बाद 2017 में लागू हुआ. वहीं केंद्र सरकार ने इन सुधारों को ऐतिहासिक बताया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में बड़ा कदम बताया, तो गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 390 से अधिक उत्पादों पर टैक्स कटौती मोदी सरकार का नवरात्रि तोहफा है.