स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यनंदा सरस्वती उर्फ डॉ. पार्थसार्थी के खिलाफ दर्ज FIR के बाद रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एक ओर जहां उन पर 17 छात्राओं से यौन शोषण का आरोप है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक अनियमितताओं का बड़ा मामला सामने आया है.
पुलिस जांच में यह बात उजागर हुई है कि बाबा ने अलग-अलग नामों से बैंक खाते खोले और एफआईआर दर्ज होने के बाद 50 लाख रुपये भी निकाल लिए.
बैंक खातों में करोड़ों की हेराफेरी
दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया कि चैतन्यनंदा के 18 बैंक खातों और 28 फिक्स्ड डिपॉजिट में करीब 8 करोड़ रुपये जमा हैं. यह रकम ‘ट्रस्ट’ और ‘दान’ के नाम पर इकट्ठा की गई थी. पुलिस का कहना है कि बाबा ने ‘श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट’ नामक एक फर्जी ट्रस्ट बनाया था और इसी के जरिए संपत्ति और पैसों का दुरुपयोग किया गया.
यौन शोषण और डर का माहौल
एफआईआर में 17 छात्राओं ने आरोप लगाया है कि बाबा ने उनका यौन शोषण किया. पीड़िताओं के मुताबिक, बाबा उन्हें पढ़ाई के बहाने अपने नियंत्रण में रखते थे. पहले वह छात्राओं से उनके मोबाइल फोन और मूल दस्तावेज जमा करवा लेते थे, ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें. फोन देने के बदले में वह नया मोबाइल देते थे, जिससे पीड़िताओं पर नजर रखना आसान हो जाता था.
कोर्ट से जमानत खारिज, बाबा फरार
बाबा के खिलाफ दर्ज मामलों में उनकी ओर से अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन दिल्ली की एक अदालत ने इसे खारिज कर दिया. अदालत ने यह भी माना कि आरोपी ने ट्रस्ट की संपत्ति और धन का दुरुपयोग कर उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. फिलहाल बाबा फरार है और पुलिस लगातार उनकी तलाश में जुटी हुई है.
कैसे करता था संचालन
पुलिस का कहना है कि चैतन्यनंदा ने अलग-अलग नामों और दस्तावेजों का इस्तेमाल करके बैंक खाते खोले. शुरुआती जांच में सामने आया है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद उसने करीब 50–55 लाख रुपये निकाल लिए थे. उसके खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी और यौन शोषण से जुड़े मामलों की जांच तेज कर दी गई है.