भारत और भूटान के बीच दशकों से चली आ रही निकटता को अब नई दिशा मिलने जा रही है. केंद्र सरकार ने दोनों देशों के बीच पहली बार रेलवे कनेक्टिविटी स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है. यह कदम न केवल भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि दोनों देशों के सांस्कृतिक और सुरक्षा संबंधों को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत कोकराझार से गीलेफु तक करीब 70 किलोमीटर नई पटरियां बिछाई जाएंगी. यह लाइन सीधे बोंगाईगांव, जो कि भारत का बड़ा औद्योगिक केंद्र है, से जुड़ी होगी. इसके जरिए भूटान को भारत के 1.5 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे नेटवर्क तक सीधी पहुंच मिल जाएगी.
गीलेफु और समतसे में अलग-अलग संभावनाएं
यह परियोजना केवल यात्रा का साधन नहीं है, बल्कि भूटान के दो बड़े शहरों को भारत से जोड़ने का माध्यम भी बनेगी. गीलेफु, जिसे ‘माइंडफुलनेस सिटी’ के रूप में विकसित किया जा रहा है, पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टि से अहम है. वहीं समतसे एक उभरता हुआ औद्योगिक शहर है. इन दोनों को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने से भूटान की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को सीधा लाभ मिलेगा.
भारत की ओर से पूरा निवेश
पूरे प्रोजेक्ट पर आने वाला 4,033 करोड़ रुपये का खर्च भारत सरकार वहन करेगी. मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच इस रेलवे कनेक्टिविटी पर सहमति बनी थी. अब इस दिशा में आधिकारिक कदम उठाकर भारत ने भूटान के साथ अपनी प्रतिबद्धता को और स्पष्ट कर दिया है.
द्विपक्षीय रिश्तों में नया मील का पत्थर
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और भूटान का रिश्ता असाधारण भरोसे और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित है. भारत न केवल भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, बल्कि उसका सबसे बड़ा विकास सहयोगी भी है. भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के लिए भारत ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने का वादा किया है, जो पिछली योजना से दोगुना है. इस रेलवे कनेक्टिविटी के साथ दोनों देशों का रिश्ता और मजबूत होगा.