‘एंड द आइस एज’, ऑरेंज लाइज मैटर’, नो किंग्स प्रोटेस्ट में इन पोस्टर्स ने लूट ली सारी सुर्खियां!

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और शासन शैली के खिलाफ शनिवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. “नो किंग्स” नाम से हुए इस विशाल विरोध प्रदर्शन में लोगों ने ‘लोकतंत्र बनाम तानाशाही’ का संदेश दिया.

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के खिलाफ हुए ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ में लोगों ने अपनी नाराजगी कुछ अलग अंदाज में जताई. न्यूयॉर्क से लेकर लॉस एंजिलिस तक सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारियों ने पोस्टर्स पर लिखा ‘End the ICE Age’ और ‘Orange Lies Matter’, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

न्यूयॉर्क से लेकर लॉस एंजिलिस तक फैले इन प्रदर्शनों में लोगों ने ‘End the ICE Age’ और ‘Orange Lies Matter’ जैसे मजेदार लेकिन तीखे नारों के साथ अपनी नाराजगी जताई. शांतिपूर्ण माहौल में हुए इन विरोध प्रदर्शनों को राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक विरोध माना जा रहा है.

‘नो किंग्स’ मूवमेंट का संदेश, लोकतंत्र खतरे में?

‘नो किंग्स’ प्रदर्शन दरअसल अमेरिकी लोकतंत्र में राष्ट्रपति ट्रंप के बढ़ते प्रभाव और उनके ‘राजा जैसे रवैये’ के विरोध का प्रतीक बन गया है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अमेरिका को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर वापस लौटना चाहिए. न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हजारों लोगों ने ‘Nothing is more patriotic than protesting’ यानी ‘विरोध करना ही सच्ची देशभक्ति है’ जैसे पोस्टर लहराए.

त्योहार जैसा माहौल, लेकिन तीखा संदेश

हालांकि प्रदर्शन का माहौल उत्सव जैसा था, लोगों ने रंगीन पोशाकें पहनीं, कुछ जगहों पर फुलाए गए गुब्बारे और ड्रम की थाप पर मार्च हुआ. लेकिन हर नारा, हर पोस्टर ट्रंप सरकार के खिलाफ गुस्से की आवाज था. प्रदर्शनकारियों में बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सभी उम्र के लोग शामिल थे. कई शहरों में बच्चों के साथ परिवार भी इस रैली का हिस्सा बने.

ट्रंप समर्थकों ने बताया ‘Hate America Rally’

राष्ट्रपति ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने इन प्रदर्शनों को ‘Hate America Rally’ करार दिया है. पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि यह विरोध देश की एकता के खिलाफ है. वहीं प्रदर्शनकारियों ने जवाब में कहा कि उनका मकसद अमेरिका को बचाना है, न कि तोड़ना. उनके अनुसार ‘नो किंग्स’ आंदोलन यह याद दिलाने के लिए है कि अमेरिका किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं है, बल्कि जनता की आवाज है.

सरकार बंद होने के बीच जनता की पुकार

इन प्रदर्शनों का समय भी अहम था, क्योंकि यह ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद तीसरी बार देशव्यापी आंदोलन था, और यह उस वक्त हुआ जब अमेरिकी सरकार आंशिक रूप से बंद (Government Shutdown) चल रही थी. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जनता की आवाज दबाई नहीं जा सकती, और अब ‘नो किंग्स’ की गूंज पूरे अमेरिका में फैल चुकी है.

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