ट्रंप ने क्यों बढ़ाई चीन पर टैरिफ की डेडलाइन?, खुल गया मेहरबानी का राज

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध में एक नया मोड़ आया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 30% टैरिफ की समय सीमा 90 दिन बढ़ा दी है, जिससे 145% टैरिफ योजना टल गई यह कदम राहत नहीं, बल्कि ट्रंप की मजबूरी को दर्शाता है, जो चीनी बाजार के दबदबे से जुड़ा है.

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trump-c jinping
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Donald Trump Tariff News: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक बार फिर गर्म हो गया है, लेकिन इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को राहत देने का फैसला किया है. अमेरिका ने चीन पर टैरिफ की समय सीमा 90 दिन और बढ़ा दी है. यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सिग्नेचर करके किया. 

इसका मतलब यह है कि चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ की दर बनी रहेगी, जो कि पहले से तय था और 145 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना फिलहाल टल गई है. यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने चीन को टैरिफ पर 90 दिनों की राहत दी है, लेकिन इस बार ट्रंप का यह कदम राहत के बजाय मजबूरी का परिणाम दिखता है. आइए, जानते हैं इस फैसले के पीछे की असल वजहों को.

अमेरिका की क्रिसमस शॉपिंग और टैरिफ

दरअसल, ट्रंप का यह कदम अमेरिका में आने वाले क्रिसमस सीजन के दौरान भारी-भरकम खरीदारी को देखते हुए उठाया गया है. अमेरिका में ऑटम और क्रिसमस का मौसम खरीदारी के लिए सबसे बड़ा समय होता है. इस दौरान लोग कपड़े, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू सामान खरीदने के लिए बाजार में उमड़ते हैं. 

इस खरीदी का एक बड़ा हिस्सा चीन से इम्पोर्ट किए गए माल पर निर्भर करता है. यदि चीन पर भारी टैरिफ लगाया जाता, तो इन सामानों की कीमत में काफी बढ़ोतरी होती और यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगा हो जाता. खासकर छोटे कारोबारी और आम लोग महंगाई से परेशान हो सकते थे, जिससे ट्रंप के खिलाफ गुस्सा पैदा हो सकता था.

इसके अलावा, चीनी सामानों की सस्ती कीमतों के कारण वे अमेरिकी बाजार में बहुत लोकप्रिय हैं. अगर ट्रंप हाई टैरिफ को लागू करते, तो अमेरिकियों के पॉकेट पर बोझ बढ़ जाता. इससे महंगाई की समस्या पैदा होती, और इसका असर सिर्फ आम उपभोक्ताओं पर ही नहीं, बल्कि छोटे व्यापारियों पर भी पड़ता. ऐसे में ट्रंप के प्रशासन के खिलाफ विरोध और असंतोष फैल सकता था.

ट्रंप का फैसला

यह देखा जा सकता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम मजबूरी में लिया है. ट्रंप को चीन के साथ व्यापारिक विवादों के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अगर टैरिफ की समय सीमा बढ़ाने का फैसला नहीं लिया गया, तो चीनी बाजार में उनके सामानों की कीमतें और ज्यादा बढ़ सकती थीं, जिससे अमेरिकियों को और भी परेशानी होती. ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह नहीं चाहते कि टैरिफ की वजह से लोग खरीदारी बंद कर दें, क्योंकि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

इस समय, चीन के साथ व्यापार युद्ध में टैरिफ एक प्रमुख हथियार बन चुका है. लेकिन ट्रंप का यह कदम बताता है कि उन्हें भी यह समझ में आ गया है कि कई मामलों में उन्हें पीछे हटने की आवश्यकता है. अमेरिका में चुनावी मौसम नजदीक है और ऐसे में व्यापार युद्ध से होने वाले नुकसान को कम करना ट्रंप की प्राथमिकता बन चुका है.

ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात 

ट्रंप का यह कदम अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है. व्यापार समझौते के लिए 90 दिन का समय मिल जाने से दोनों देशों को अपने मतभेदों को सुलझाने का और समय मिल गया है. यह संभावना जताई जा रही है कि इस फैसले से ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शिखर सम्मेलन का रास्ता साफ हो सकता है, जो कि इस साल के अंत तक हो सकता है.

चीन के साथ व्यापार करने वाली अमेरिकी कंपनियों ने इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि इससे उनका व्यापार और मुनाफा सुरक्षित रहेगा. हालांकि, ट्रंप के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संघर्ष अभी भी जारी रहेगा, लेकिन दोनों देशों ने इस संकट को टलने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है.

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