केंद्र सरकार ने 2027 में होने वाली देश की अगली जनगणना के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इस बार नागरिकों को पहली बार डिजिटल माध्यम से अपनी जानकारी दर्ज करने का मौका मिलेगा.
सरकार ने घोषणा की है कि नागरिक 1 से 7 नवंबर 2025 के बीच ‘सेल्फ-एन्यूमरेशन विंडो’ के जरिए अपने घर और परिवार का ब्यौरा दे सकेंगे. इसके बाद चयनित इलाकों में 10 से 30 नवंबर 2025 तक प्री-टेस्ट यानी पूर्व-परीक्षण चलेगा ताकि सिस्टम की कार्यक्षमता की जांच हो सके.
2027 की जनगणना
गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त, मृत्युंजय कुमार नारायण ने अधिसूचना जारी कर बताया कि प्री-टेस्ट चरण 10 से 30 नवंबर 2025 के बीच चलेगा. इस दौरान देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा क्षेत्रों में ‘हाउस-लिस्टिंग व हॉउसिंग सर्वे’ किया जाएगा. इसका उद्देश्य डिजिटल सिस्टम, मोबाइल एप और सर्वे तरीकों की दक्षता की जांच करना है ताकि मुख्य जनगणना से पहले संभावित खामियां दूर की जा सकें.
देश की पहली डिजिटल जनगणना
जनगणना 2027 देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी. इसमें नागरिक स्वयं-गणना पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा दर्ज कर सकेंगे. यह दो चरणों में पूरी होगी- पहला, हाउस-लिस्टिंग और हॉउसिंग शेड्यूल (HLO) और दूसरा, पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (PE). इसके तहत डेटा संग्रह की नई तकनीकें, प्रशिक्षण मॉड्यूल और सॉफ्टवेयर सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इस बार जाति आधारित जानकारी भी पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर एकत्रित की जाएगी.
की चरणों में होगी जनगणना
पहले चरण में देशभर के घरों की स्थिति, सुविधाएं और संपत्तियों की जानकारी जुटाई जाएगी. दूसरे चरण में प्रत्येक व्यक्ति का जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ब्यौरा लिया जाएगा. जनसंख्या गणना (Population Enumeration) का कार्य 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा, जबकि अधिकांश राज्यों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 तय की गई है. बर्फ से ढके क्षेत्रों- जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए यह तारीख 1 अक्टूबर 2026 रखी गई है.
34 लाख से अधिक कार्यकर्ता होंगे शामिल
जनगणना 2027 में 34 लाख से अधिक एनुमेरेटर और पर्यवेक्षक शामिल होंगे, जिन्हें 1.3 लाख जनगणना अधिकारी दिशा-निर्देश देंगे. यह भारत के इतिहास की सबसे बड़ी प्रशासनिक कवायदों में से एक होगी. यह देश की 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद आठवीं. पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण टल गई थी. इस कारण 2027 की जनगणना भारत की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था और सामाजिक नीतियों के लिए अत्यंत अहम मानी जा रही है.
भविष्य की नीतियों को आकार देगी डिजिटल जनगणना
यह जनगणना भारत की सबसे तकनीकी रूप से उन्नत जनगणना होगी, जिससे देश को सटीक सामाजिक-आर्थिक आंकड़े मिलेंगे. इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और आर्थिक विकास जैसी नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी. सरकार का लक्ष्य है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी, तेज और नागरिक-अनुकूल बने. 1 से 7 नवंबर 2025 के बीच खुलने वाली स्वयं-गणना सुविधा से नागरिकों को अपनी जानकारी सही-सही भरने का अवसर मिलेगा.
















