पाकिस्तान में आतंकी हमलों की बढ़ती घटनाओं ने एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. बलूचिस्तान में हालिया हमलों के बाद पाकिस्तान रेलवे ने क्वेटा से पेशावर के बीच चलने वाली जाफर एक्सप्रेस को चार दिनों के लिए बंद कर दिया है.
यह फैसला खुफिया एजेंसियों की चेतावनी के बाद लिया गया है, ताकि यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और महत्वपूर्ण ढांचों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. यह ट्रेन बलूच विद्रोहियों के निशाने पर बार-बार आ चुकी है.
सुरक्षा खतरों के चलते लिया फैसला
पाकिस्तान रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि 9 से 12 नवंबर तक जाफर एक्सप्रेस की सेवा बंद रहेगी. यह कदम खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर उठाया गया है. रेलवे प्रशासन ने कहा कि बलूचिस्तान में हालात तनावपूर्ण हैं, इसलिए यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है. इस निर्णय से हजारों यात्रियों के सफर की योजनाएं प्रभावित होंगी, क्योंकि जाफर एक्सप्रेस क्वेटा और पेशावर के बीच सस्ती और लोकप्रिय यात्रा का माध्यम मानी जाती है.
मार्च में हुए हमले से शुरू हुई हिंसा
इस वर्ष मार्च में जाफर एक्सप्रेस पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था. प्रतिबंधित संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने 380 यात्रियों से भरी ट्रेन का अपहरण कर लिया था. दो दिन चले इस टकराव में 26 लोगों की मौत हुई, जबकि 354 यात्रियों को सुरक्षित बचाया गया था. इस दौरान सुरक्षा बलों ने 33 उग्रवादियों को मार गिराया था. इसी घटना के बाद से यह ट्रेन बार-बार विद्रोही हमलों का निशाना बनती रही है.
लगातार बम धमाकों से दहला रेलवे नेटवर्क
मार्च की घटना के बाद अक्टूबर में सिंध प्रांत में रेलवे ट्रैक पर विस्फोट से पांच डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें कई यात्री घायल हुए. सितंबर में बलूचिस्तान के मस्तुंग क्षेत्र में हुए धमाके से छह डिब्बे पटरी से उतर गए और 12 यात्री घायल हुए. अगस्त में भी मस्तुंग में एक आईईडी धमाके से चार लोग जख्मी हुए थे. ये घटनाएं दिखाती हैं कि आतंकी लगातार रेलवे नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं.
गोलीबारी और पटरी उड़ाने की घटनाएं जारी
4 अगस्त को कोलपुर के पास ट्रैक जांच के लिए भेजे गए पायलट इंजन पर आतंकियों ने गोलियां चलाईं. इस हमले की जिम्मेदारी भी BLA ने ली थी. जुलाई और जून में सिंध प्रांत में दो अलग-अलग बम धमाकों में ट्रेन की पटरी उड़ाई गई, हालांकि इनमें कोई जानहानि नहीं हुई. इन घटनाओं से साफ है कि रेलवे सुरक्षा तंत्र लगातार चुनौती झेल रहा है और विद्रोही अपनी गतिविधियों में और आक्रामक हो रहे हैं.
सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती
पिछले साल नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए आत्मघाती हमले में 26 लोग मारे गए थे. विशेषज्ञों का कहना है कि बलूचिस्तान का दुर्गम और पहाड़ी भूभाग विद्रोहियों को छिपने और हमले की योजना बनाने में मदद करता है. लगातार हमलों से यह साफ है कि आतंकवादी संगठनों ने रेलवे को आसान निशाना बना लिया है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों और रेलवे प्रशासन के सामने यात्रियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.
















