PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली. लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने लगातार 12वीं बार स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया. इस तरह उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अब इस लिस्ट में पीएम मोदी केवल देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से पीछे हैं. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लगातार 17 बार राष्ट्र को संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल अपने तत्कालीन पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा था और लगातार 11 बार लाल किले पर तिरंगा फहराने का गौरव प्राप्त किया था. इस बार उन्होंने न केवल इस सिलसिले को जारी रखा बल्कि इतिहास में अपना नाम और मजबूती से दर्ज किया.
पीएम मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड
इंदिरा गांधी ने जनवरी 1966 से मार्च 1977 और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 तक प्रधानमंत्री पद संभाला. इस दौरान उन्होंने कुल 16 स्वतंत्रता दिवस भाषण दिए, जिनमें से 11 लगातार थे. यह रिकॉर्ड अब नरेन्द्र मोदी के नाम हो गया है, जिन्होंने लगातार 12 बार भाषण देकर नया मील का पत्थर स्थापित किया.
लिस्ट में सबसे ऊपर पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1963 तक पद पर रहे और उन्होंने लगातार 17 बार राष्ट्र को संबोधित किया. यह अब तक का सबसे लंबा सिलसिला है, जिसे तोड़ना किसी भी प्रधानमंत्री के लिए चुनौतीपूर्ण है.
अन्य प्रधानमंत्रियों के आंकड़े
- लाल बहादुर शास्त्री: 2 बार (1964, 1965)
- मोरारजी देसाई: 2 बार
- चौधरी चरण सिंह: 1 बार (1979)
- राजीव गांधी: 5 बार
- वीपी सिंह: 1 बार (1990)
- पीवी नरसिम्हा राव: 4 बार (1991–1995)
- एचडी देवेगौड़ा: 1 बार (1996)
- आईके गुजराल: 1 बार (1997)
- अटल बिहारी वाजपेयी: 6 बार (1998–2003)
- डॉ मनमोहन सिंह: 10 बार (2004–2014)
सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड भी पीएम मोदी के नाम
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 98 मिनट का भाषण दिया, जो अब तक का सबसे लंबा भाषण माना जाता है. इस भाषण में उन्होंने देश के विकास कार्यों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की.
2024 के भाषण की मुख्य बातें
15 अगस्त 2024 को दिए गए भाषण में पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का समर्थन किया और मौजूदा ढांचे को सांप्रदायिक व भेदभावपूर्ण बताया. इसके साथ ही उन्होंने एक साथ चुनाव कराने के विचार को भी जोरदार तरीके से रखा.