Actress Nazima Passes Away: 77 वर्षीय अभिनेत्री नाजिमा ने अपने करियर की शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी. नाजिमा अब इस दुनिया में नहीं रहीं. चार दशकों तक फिल्मों में बहन, सहेली और भरोसेमंद साथी के किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली नाजिमा के निधन की खबर से फिल्म जगत और उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है. उनकी चचेरी बहन जरीन बाबू ने सोशल मीडिया के जरिए यह दुखद सूचना साझा की. रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका निधन 11 अगस्त को हुआ.
1948 में जन्मी थीं नाजिमा
25 मार्च 1948 को नासिक में जन्मी नाजिमा ने मुंबई के दादर स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली, जहां वे अपने दो बेटों के साथ रहती थीं. हालांकि वे मुख्यधारा की फिल्मों में प्रमुख नायिका नहीं बन पाईं, लेकिन सपोर्टिंग भूमिकाओं में उनकी अदाकारी ने गहरी छाप छोड़ी. उनका फिल्मी सफर बचपन में ही शुरू हो गया था, जब उन्होंने ‘बेबी चांद’ के रूप में लगातार चार फिल्मों में काम किया.
नाजिमा की बहनें भी जानी-मानी अभिनेत्रियां
नाजिमा की बहनें हुस्न बानो और शरीफा बाई भी जानी-मानी अभिनेत्रियां थीं. फिल्मी परिवार से होने के कारण उन्हें जल्दी ही बॉलीवुड में अवसर मिला. उनकी पहली फिल्म 1953 में रिलीज हुई ‘पतिता’ थी. इसके बाद उन्होंने बिमल रॉय की ‘बिराज बहू’ (1954) और ‘देवदास’ (1955) में काम किया. इसके बाद ‘गरम कोट’, ‘दायर-ए-हबीब’, ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ जैसी फिल्मों में नजर आईं. एक युवा नायिका के तौर पर उन्होंने स्टंट फिल्म ‘प्रिंसेस साबा’ में भी काम किया.
अपने करियर में उन्होंने ‘उम्र कैद’, ‘टावर हाउस’, ‘जिद्दी’, ‘गजल’, ‘अप्रैल फूल’ और ‘आरजू’ जैसी फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं. अधिकांश फिल्मों में वे नायक की बहन की भूमिका में नजर आईं, जिस कारण दर्शक उन्हें प्यार से “रेजिडेंट सिस्टर” कहकर बुलाने लगे.
1972 में मनोज कुमार की फिल्म ‘बेईमान’ में उन्होंने नायक की बहन का किरदार निभाया था, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नामांकन भी मिला. उनकी सादगी और सहज अभिनय शैली ने उन्हें दर्शकों के बीच खास पहचान दिलाई. नाजिमा के निधन से हिंदी सिनेमा ने एक ऐसी कलाकार को खो दिया, जिसने पर्दे पर रिश्तों को जीवंत कर दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली.














