JNU Violence: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गुरुवार शाम को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस और रावण दहन कार्यक्रम को लेकर हुए बवाल पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया. झड़पों में कई छात्र घायल हुए हैं, जिनमें महिला छात्राएं भी शामिल हैं. इस मामले को लेकर एआईएसए ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
एआईएसए और अन्य वामपंथी संगठनों ने इन आरोपों को खारिज किया और उल्टा एबीवीपी पर धर्म का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि एबीवीपी द्वारा आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में रावण के रूप में पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम जैसी शक्लों वाले पुतले जलाए गए. दोनों ही फिलहाल सीएए विरोध और दिल्ली दंगों की साजिश मामलों में आरोपी हैं.
राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश
एआईएसए ने बयान जारी कर कहा कि यह इस्लामोफोबिया की घटिया मिसाल है और धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. संगठन ने सवाल किया कि अगर पुतले जलाने ही थे तो क्यों नाथूराम गोडसे, गुरमीत राम रहीम या 2020 दंगों में हिंसा भड़काने वालों जैसी शख्सियतों को शामिल किया गया. एआईएसए का कहना है कि जेएनयू नफरत और सांप्रदायिक राजनीति को खारिज करता है. संगठन ने छात्रों से अपील की कि वे आरएसएस-एबीवीपी की विभाजनकारी राजनीति का विरोध करें और परिसर का सांस्कृतिक माहौल सुरक्षित रखें. घटना के बाद से जेएनयू परिसर में तनाव का माहौल है. दोनों पक्ष लगातार एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं और माहौल और अधिक संवेदनशील हो गया है. फिलहाल जेएनयू प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है.
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
एबीवीपी का आरोप है कि शाम करीब 7 बजे साबरमती टी-प्वाइंट पर दुर्गा विसर्जन जुलूस के दौरान अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) से जुड़े छात्रों ने बाधा डाली और पत्थरबाजी की. एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष मयंक पंचाल ने कहा कि यह न केवल एक धार्मिक आयोजन पर हमला है बल्कि विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परंपरा और छात्रों की आस्था पर सीधा आघात है. एबीवीपी मंत्री प्रवीण पीयूष ने कहा कि दुर्गा विसर्जन जैसे पवित्र मौके पर पत्थरबाजी और महिला छात्रों पर हमला निंदनीय और शर्मनाक है. उन्होंने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की. जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक एकता और भाईचारे पर हमला बताया.