जेल में ‘धीमे जहर’ के दावों पर आजम खान ने किया बड़ा खुलासा

सपा नेता आजम खां के जेल में रहने के दौरान 'धीमा जहर' देने के दावे ने सियासी हलचल पैदा कर दी है. पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने दावा किया कि आजम खां जेल में अपना खाना खुद बनाते थे ताकि जहर से बच सकें.

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Azam Khan
Azam Khan

23 महीने बाद जेल से बाहर आए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. जेल से रिहाई के बाद दिल्ली के अस्पताल में इलाज करा रहे आजम खां को लेकर पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने दावा किया कि उन्हें जेल में धीमा जहर दिया जा रहा था.

यह खबर सामने आते ही राजनीति और समर्थकों के बीच हलचल मच गई. लेकिन सोमवार को आजम खां ने खुद इन दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए तस्वीर साफ कर दी.

शाहिद सिद्दीकी का बड़ा दावा

रामपुर जेल से रिहा होने के बाद आजम खां दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती हुए थे. वहां उनसे मुलाकात के बाद पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा था. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि आजम खां ने अपनी सुरक्षा के लिए जेल में खुद खाना बनाना शुरू कर दिया था. यह बयान सामने आते ही उनके समर्थकों में चिंता और सनसनी फैल गई.

आजम खां की सफाई

रामपुर लौटने के बाद मीडिया से बात करते हुए आजम खां ने साफ किया कि शाहिद सिद्दीकी के बयान को गलत तरीके से समझा गया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल इतना कहा था कि टीवी और अखबारों में मुख्तार अंसारी की मौत और धीमे जहर की खबरें देखकर वे सतर्क हो गए थे. लेकिन यह दावा बिल्कुल गलत है कि वे खुद खाना पकाते थे. उन्होंने कहा, ‘मैं खुद खाना बना ही नहीं सकता था. हां, मैंने खाने में बहुत परहेज जरूर किया.’

जेल की कठिनाई और सेहत पर असर

आजम खां ने स्वीकार किया कि पांच साल तक एक छोटी कोठरी में तन्हा कैद रहने का असर उनकी सेहत पर पड़ा. उन्होंने बताया कि वे बहुत कम खाना खाते थे. दोपहर में एक रोटी लेकर उसका आधा हिस्सा उसी समय और आधा रात में खाते थे. कभी-कभी सिर्फ नींबू का अचार खाकर गुजारा कर लेते थे. उनका कहना था कि जेल की कठोर परिस्थितियों ने ही उनकी सेहत को सबसे ज्यादा प्रभावित किया.

राजनीतिक हलचल और जनता की चिंता

शाहिद सिद्दीकी के बयान और आजम खां के जवाब के बाद यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद जेलों में कैद बड़े नेताओं की सुरक्षा को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे थे. ऐसे में आजम खां का यह खुलासा कि वे सतर्क हो गए थे, एक बार फिर जेल प्रशासन और राजनीतिक कैदियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

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