Cancer Test Through Tears: ‘दिल के अरमा आंसुओं में बह गए’, यह गाना भले ही मोहब्बत और दर्द को बयान करता हो, लेकिन अब साइंस ने आंसुओं को सेहत का आईना मान लिया है. जी हां, जिन आंसुओं को शायर कभी इश्क का पैगाम कहते थे, वो अब कैंसर, अल्जाइमर, पार्किंसन, रूमेटॉयड आर्थराइटिस और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी घातक बीमारियों का पता लगाने में मदद करेंगे.
वैज्ञानिक मानते हैं कि आंसू किसी भी बीमारी का संकेत शरीर पर लक्षण दिखने से काफी पहले दे देते हैं. यही वजह है कि इन्हें अब ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ माना जा रहा है. सबसे खास बात यह है कि आंसुओं की जांच नॉन-इनवेसिव (बिना चीर-फाड़) और किफायती है. सिर्फ 90 मिनट में रिपोर्ट तैयार हो जाती है और बीमारियों की पहचान पारंपरिक टेस्ट से भी पहले संभव हो जाती है.
आंसुओं से होगी बीमारियों की जांच
साइंटिस्ट्स ने आंसुओं में ‘टाउ प्रोटीन’ (Tau protein) की पहचान की है, जो अल्जाइमर का सबसे अहम मार्कर है. इसका मतलब है कि शुरुआती चरण में ही रोग की पहचान कर दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है. यही नहीं, आंसू के जरिए ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर को भी शुरुआती स्टेज पर पकड़ा जा सकता है. डायबिटीज, मायोपिया और ड्राई आई जैसी स्थितियों में भी यह टेस्ट बेहद उपयोगी है.
2026 तक बाजार में आ सकती है Tear Test Kit
फिलहाल यह तकनीक परीक्षण के अंतिम चरण में है. माना जा रहा है कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद 2026 तक Tear Test Kit बाजार में उपलब्ध हो जाएगी. यह पेपर-स्ट्रिप बेस्ड किट होगी, जिसमें आंसू इकट्ठा कर जांच की जाएगी.
भारत में भी हो रहा शोध
भारत में भी इस दिशा में तेजी से रिसर्च चल रहा है. बेंगलुरु स्थित नारायण नेत्रालय की GROW रिसर्च लेबोरेटरी अपनी खुद की आंसू-आधारित डायग्नोस्टिक किट विकसित कर रही है. इसके नैदानिक परीक्षण जारी हैं. नारायण नेत्रालय और ग्रो लैब्स के निदेशक डॉ. रोहित शेट्टी का कहना है कि आंसुओं पर आधारित यह तकनीक हेल्थकेयर सेक्टर में क्रांति ला सकती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.