Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के जीवन में क्रांति लाने वाला बड़ा कदम उठाया है. कृषि क्रांति अभियान के तहत 14 सितंबर 2025 को किसान कॉल सेंटर, जी-कॉम इंडिया और QR कोड आधारित बाजार व्यवस्था की शुरुआत की गई. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के अपने बगिया स्थित निवास कार्यालय से इस योजना का शुभारंभ किया.
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष गोमती साय, विधायक जशपुर रायमुनी भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय और कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.
अब सीधे खरीदार से जुड़ेंगे किसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिले में पहले किसान अपनी फसल बिचौलियों को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर थे. अब, QR कोड और जी-कॉम इंडिया ऐप की मदद से किसान सीधे खरीदार तक पहुंचेंगे. देश के किसी भी कोने में बैठे लोग ऐप से किसानों की फसल खरीद सकेंगे. यदि किसी किसान के पास कम मात्रा में फसल हो, तो वह अपने साथी किसानों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर बिक्री कर सकेगा. इससे किसानों को उचित दाम और ज्यादा मुनाफा मिलेगा.
जशपुर बनेगा उद्यानिकी हब
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि जशपुर जिले में आम, लीची, नाशपाती, टाऊ, कटहल और यहां तक कि चाय तक का उत्पादन हो रहा है. लेकिन बाजार की कमी के कारण किसान अपनी उपज सस्ते में बेचते थे. अब QR कोड से उनकी उपज सीधे खरीदार तक पहुंचेगी. हाल ही में जशपुर में कटहल मेला भी आयोजित किया गया था, जो किसानों की आय बढ़ाने का बड़ा कदम साबित हुआ.
किसान कॉल सेंटर की सुविधा
किसानों की मदद के लिए कॉल सेंटर भी शुरू किया गया है. यहां 12 कृषि विशेषज्ञों का दल काम करेगा, जिसमें विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिक शामिल हैं. किसान केवल कॉल सेंटर नंबर 08069378107 पर फोन कर खेती से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान पा सकेंगे. साथ ही, उन्हें सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण की भी जानकारी दी जाएगी.
दुग्ध उत्पादन में बढ़ावा
राज्य सरकार ने NDDB के सहयोग से 6 जिलों में उत्तम नस्ल के दुधारू पशुओं के वितरण की योजना भी शुरू की है. इससे गाँवों में दूध उत्पादन और पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा. किसानों को पशुपालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
किसानों का शैक्षणिक भ्रमण
कृषि क्रांति और आत्मा योजना के तहत 35 किसानों का दल रायपुर और दुर्ग भेजा गया है. यहां वे आधुनिक खेती और खाद्य प्रसंस्करण तकनीक सीखेंगे. वापस आकर यह ज्ञान वे अपने गांव के बाकी किसानों को भी देंगे.