छत्तीसगढ़: करोड़ों के शराब घोटाले का पर्दाफाश, रिटायर्ड IAS अधिकारी निरंजन दास गिरफ्तार

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में शराब के एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें रिटायर्ड IAS अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार किया गया है. यह घोटाला हजारों करोड़ रुपये का बताया जा रहा है और इसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी विभाग के सचिव और कमिश्नर निरंजन दास की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है.

ACB/EOW (एंटी-करप्शन ब्यूरो और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग) के प्रमुख अमरेश मिश्रा ने बताया कि निरंजन दास पर आरोप है कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे शराब दुकानों के जरिए अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा दिया. इसके लिए उन्होंने आबकारी अधिकारियों के तबादलों में हेर-फेर किया, टेंडर प्रक्रिया को भी अपनी मनमर्जी से बदला और कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाया.

राज्य को भारी आर्थिक नुकसान

जांच एजेंसियों का आरोप है कि निरंजन दास ने नोएडा की एक होलोग्राम कंपनी को टेंडर दिलवाए, जिससे नकली होलोग्राम छापे गए और उनका इस्तेमाल अवैध शराब के व्यापार में हुआ. इससे राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. इसके अलावा, दास पर यह भी आरोप है कि उन्होंने लगभग 50 लाख रुपये की मासिक रिश्वत ली.

निरंजन दास के साथ होटल व्यवसायी नितेश पुरोहित और यश पुरोहित भी गिरफ्तार किए गए हैं. दोनों को भी न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. इस मामले में और भी कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं.

बड़े राजनेताओं और अधिकारियों के नाम

आर्थिक अपराध शाखा और एंटी करप्शन ब्यूरो ने निरंजन दास को 25 सितंबर तक अपनी हिरासत में लिया है, ताकि उनसे पूछताछ की जा सके. इस मामले की जांच में कई बड़े राजनेताओं और अधिकारियों का नाम सामने आ चुका है, जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल तुटेजा और आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी भी शामिल हैं.

शराब घोटाले की जांच में ED भी शामिल

इस शराब घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी शामिल है और उन्होंने 2019 से 2022 के दौरान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले को 2,500 करोड़ रुपये से भी अधिक का बताया है. ED ने अब तक कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां की हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम भी शामिल है.

घोटाले में नामजद 70 से अधिक लोगों और कंपनियों के खिलाफ जांच की जा रही है. ACB/EOW ने जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की थी और अब तक एक मुख्य आरोप पत्र और चार पूरक आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं. यह घटना छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही कार्रवाई की एक बड़ी मिसाल बन सकती है.

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