श्रीलंका में साइक्लोन दित्वा ने ली 334 लोगों की जान, 300 से ज्यादा लापता; राष्ट्रपति ने की ये भावुक अपील

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नई दिल्ली: श्रीलंका इस समय सदी की सबसे भयानक त्रासदी से जूझ रहा है क्योंकि चक्रवात दित्वा ने पूरे देश में भारी तबाही मचा दी है. देश भर में अब तक 334 लोगों की मौत हो चुकी है और 370 से अधिक लोग लापता हैं. सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ी इलाकों में हुआ है जहां मलैयाहा तमिल समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते और काम करते हैं. ये समुदाय श्रीलंका के सबसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में से एक माना जाता है. 

रविवार को बदुल्ला, कैंडी, नुवारा एलिया और मटाले जिलों से बड़ी संख्या में मौतों की पुष्टि हुई है. सोशल मीडिया और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी तस्वीरों में दिखा कि पहाड़ों पर बसे पुराने कॉलोनियल लाइन रूम भूस्खलन के कारण धंस गए और मिट्टी के भारी प्रवाह में दब गए. इन घरों में मलैयाहा तमिल परिवार पीढ़ियों से रहते आए हैं जिनके पूर्वजों को दो सौ साल पहले ब्रिटिश भारत से चाय बागानों में काम करने के लिए लाया गया था. 

चक्रवात दित्वा का कैसा है प्रकोप?

चक्रवात दित्वा के आने के बाद कई जिलों में रिकॉर्ड बारिश हुई और लगातार भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं. श्रीलंका के आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार 11 लाख से अधिक लोग इस चक्रवात से प्रभावित हुए हैं और लगभग 2 लाख लोगों को सुरक्षित केंद्रों में भेजा गया है. कई गांवों में सड़कें कट गई हैं और बचाव दलों को दूरदराज के इलाकों में पहुंचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सेना, पुलिस और आपातकालीन टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. 

राष्ट्रपति दिसानायके ने क्या कहा?

रविवार शाम अपने टेलीविजन संबोधन में राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा कि यह पूरे देश के लिए बेहद दुखद समय है और सरकार हर प्रभावित परिवार की मदद के लिए हर संभव कदम उठाएगी. राष्ट्रपति ने कहा कि हर जान की कीमत है और हर जीवन एक कहानी और यादों के साथ जुड़ा होता है. उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिया कि सरकार पुनर्निर्माण कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाएगी.

क्या है वहां की स्थिति?

कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी सैकड़ों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापसी उड़ानें उपलब्ध कराने में मदद की जिनमें भारतीय वायुसेना के विमान भी शामिल थे. भारतीय वायुसेना ने हेलीकॉप्टरों के माध्यम से एक संयुक्त हाइब्रिड रेस्क्यू मिशन चलाया और प्रतिबंधित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. राष्ट्रपति दिसानायके ने अपने संबोधन में भारत सहित पड़ोसी देशों के सहयोग की सराहना की और कहा कि संकट की घड़ी में यह समर्थन अमूल्य है.

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