दिल्ली की भाजपा सरकार जिस स्कूल फीस कानून को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुरक्षा कवच बता रही है, वही कानून अब विवाद का कारण बन गया है. जनकपुरी में टाउन हॉल मीटिंग के दौरान जब पैरेंट्स ने शिक्षा मंत्री आशीष सूद से फीस वृद्धि को लेकर सवाल किया, तो मंत्री भड़क उठे और कहा कि ‘‘जो जाना चाहते हैं, वो जा सकते हैं.’’ इस बयान ने अभिभावकों में आक्रोश और विपक्ष में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है.
पैरेंट्स के सवाल पर भड़के शिक्षा मंत्री
जनकपुरी टाउन हॉल में जब एक अभिभावक ने फीस बढ़ोतरी को लेकर सवाल उठाया, तो शिक्षा मंत्री आशीष सूद न केवल नाराज हो गए बल्कि जवाब देने के बजाय पैरेंट्स को ही उलाहना देने लगे. उन्होंने कहा कि मंच उन्होंने सजाया है, खाना भी वही खिला रहे हैं, इसलिए प्रचार भी वे ही करेंगे. टाउन हॉल में पैरेंट्स को मोबाइल से रिकॉर्डिंग करने से रोक दिया गया और पुलिस अधिकारियों को खड़ा कर दिया गया. इस रवैये पर आम आदमी पार्टी ने मंत्री की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह आचरण किसी शिक्षा मंत्री के योग्य नहीं है.
‘‘आप’’ का हमला और साझा की गई वीडियो
घटना के बाद आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आशीष सूद का वीडियो एक्स पर साझा किया. मनीष सिसोदिया ने लिखा कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता की मंत्री ने बेइज्जती की है. उन्होंने कहा कि भाजपा पहले तो स्कूलों को मनमानी फीस वसूलने का अधिकार देती है और जब पैरेंट्स सवाल पूछते हैं तो उन्हें धक्का-मुक्की और अपमान सहना पड़ता है. भारद्वाज ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने स्कूल मालिकों के लिए कानून बनाया है और पैरेंट्स का शोषण कर रही है.
स्कूल फीस कानून पर उठे सवाल
आप नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने बिना पैरेंट्स से राय लिए स्कूल फीस कानून पारित किया. इस कानून में पैरेंट्स को शिकायत दर्ज कराने के लिए कई शर्तें रखी गई हैं. उदाहरण के लिए, शिकायत दर्ज कराने के लिए कम से कम 15 फीस पैरेंट्स की जरूरत होगी. इतना ही नहीं, शिकायत की सुनवाई भी पूरी तरह मंत्री और शिक्षा निदेशक पर निर्भर है. इस वजह से, अगर स्कूल मनमानी फीस वसूलते हैं तो पैरेंट्स सीधे कोर्ट भी नहीं जा पाएंगे. भारद्वाज ने इसे ‘‘शिक्षा माफिया को संरक्षण देने वाला कानून’’ बताया.
विधानसभा में हुआ था विरोध
इस बिल के विधानसभा में आने पर आम आदमी पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया था. ‘‘आप’’ विधायक संजीव झा ने बताया कि पार्टी ने बिल को जनहितैषी बनाने के लिए कई संशोधन सुझाए थे, लेकिन भाजपा सरकार ने कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया. झा ने कहा कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर सारी शक्ति शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक के पास रखी है, ताकि पैरेंट्स पूरी तरह बेबस हो जाएं. उन्होंने दावा किया कि यह देश का पहला ऐसा बिल है जिसमें पैरेंट्स को कोर्ट जाने तक का अधिकार छीन लिया गया है. ‘‘आप’’ का कहना है कि यह बिल न सिर्फ अभिभावकों का शोषण करेगा, बल्कि निजी स्कूलों की लूट को कानूनी वैधता भी देगा.
दिल्ली में शिक्षा मंत्री आशीष सूद की टाउन हॉल मीटिंग अब भाजपा सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाती दिख रही है. पैरेंट्स का आरोप है कि यह कानून उनकी आवाज दबाने और स्कूल मालिकों को खुली छूट देने के लिए लाया गया है. विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में यह विवाद आने वाले दिनों में दिल्ली की राजनीति का बड़ा मुद्दा बन सकता है.
















