बैंक घोटाले में अनिल अंबानी ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई, 7,545 करोड़ की प्रॉपर्टी की जब्त

ED ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के बैंक फ्रॉड केस में नवी मुंबई की 132 एकड़ जमीन जब्त कीहै. पहले की गई 42 संपत्तियों की जब्ती के बाद अब कुल अटैच संपत्तियां ₹7,545 करोड़ से अधिक की हो गई हैं

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RCOM
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एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) और समूह कंपनियों के बैंक फ्रॉड मामले में बड़ी कार्रवाई की है. महाराष्ट्र के नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की 132 एकड़ जमीन जब्त की गई है, जिसकी कीमत ₹4,462 करोड़ आंकी गई है.

पहले की गई 42 संपत्तियों की जब्ती के बाद अब कुल अटैच संपत्तियां ₹7,545 करोड़ से अधिक हो गई हैं. यह कार्रवाई PMLA और सीबीआई की FIR के आधार पर की गई.

ED ने DAKC जमीन जब्त की

ED की स्पेशल टास्क फोर्स ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत नवी मुंबई में स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की 132 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है. इस जमीन की अनुमानित कीमत ₹4,462.81 करोड़ है. ED की जांच CBI FIR पर आधारित है, जिसमें भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह कार्रवाई RCOM और अनिल अंबानी सहित अन्य के खिलाफ चल रही है.

पहले की गई संपत्तियों की जब्ती

इससे पहले ED ने RCOM, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 42 संपत्तियों की जब्ती की थी, जिनकी कीमत ₹3,083 करोड़ से अधिक थी. इन संपत्तियों के जुड़ने के बाद अब समूह की कुल अटैच संपत्तियां ₹7,545 करोड़ से अधिक पहुंच गई हैं. ED की यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं और समूह कंपनियों के बड़े कर्जों की पड़ताल के लिए की गई.

RCOM और समूह की लोन गतिविधियां

ED की जांच में पता चला कि 2010 से 2012 के बीच RCOM और उसकी समूह कंपनियों ने देशी और विदेशी बैंकों से कुल ₹40,185 करोड़ का कर्ज लिया. इनमें से पांच बैंकों ने लोन को फ्रॉड घोषित किया है. जांच में यह भी सामने आया कि समूह ने नए लोन का उपयोग पुराने लोन चुकाने, कंपनियों के बीच फंड ट्रांसफर और म्यूचुअल फंड्स/फिक्स्ड डिपॉजिट्स में निवेश के लिए किया. यह बैंक लोन की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन था.

एवरग्रीनिंग और फंड ट्रांसफर

विशेष रूप से, लगभग ₹13,600 करोड़ लोन ‘एवरग्रीनिंग’ के तहत पुराने कर्ज को नए कर्ज से चुकाने में लगाए गए. इसके अलावा, लगभग ₹12,600 करोड़ संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर किए गए और लगभग ₹1,800 करोड़ फिक्स्ड डिपॉजिट्स या म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर नकद रूप में समूह कंपनियों में रीरूट किया गया. बिल डिस्काउंटिंग का दुरुपयोग और कुछ लोन राशि का विदेशी रेमिटेंस के जरिए भारत से बाहर भेजा जाना भी जांच में सामने आया.

कुल अटैच संपत्तियां और आगे की कार्रवाई

इन सभी मामलों में अब तक कुल ₹7,545 करोड़ की संपत्तियां ED ने अटैच की हैं. यह कार्रवाई PMLA और संबंधित बैंक फ्रॉड की धाराओं के तहत चल रही है. ED ने आगे की जांच जारी रखी है और फंड फ्लो, ट्रांसफर और समूह कंपनियों के वित्तीय व्यवहार का गहन विश्लेषण कर रही है. इस प्रक्रिया में देश और विदेश में फंड की स्थिति भी ट्रैक की जा रही है.

भविष्य की जांच और कानूनी प्रक्रिया

ED का उद्देश्य वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में दोषियों की संपत्तियों को जब्त करना और सार्वजनिक हित की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. अब तक की कार्रवाई में यह स्पष्ट हो गया है कि समूह कंपनियों ने लोन का दुरुपयोग किया. आगे की कार्रवाई में सभी दस्तावेजों और बैंक ट्रांजैक्शंस की जांच जारी रहेगी.

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