राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है. त्योहारों के सीजन में बढ़ती मांग के बीच क्राइम ब्रांच ने एक बड़ा खुलासा किया है. बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में छिपकर चल रही नकली देसी घी बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारकर पुलिस ने धंधेबाजों के होश उड़ा दिए.
मौके से करीब 3,700 लीटर मिलावटी घी, कच्चा माल, मिक्सिंग मशीनें और फर्जी ब्रांडेड पैकिंग सामग्री बरामद की गई. इस कार्रवाई में फैक्ट्री चलाने वाले दो मुख्य आरोपी धर दबोचे गए. यह घटना उपभोक्ताओं के लिए चेतावनी की घंटी है, क्योंकि नकली घी से कैंसर, पाचन समस्याएं और हृदय रोग जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
जानकारी के मुताबिक 29 अक्टूबर की शाम को क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज-I टीम को गुप्त टिप मिली थी. सूचना थी कि बवाना के एक गोदामनुमा फैक्ट्री में बड़े पैमाने पर नकली घी तैयार हो रहा है. यह घी वनस्पति तेल, रिफाइंड ऑयल, रासायनिक रंग, खुशबू वाले एसेंस और सस्ते वसा पदार्थों से मिलाकर बनाया जा रहा था.
आरोपी इसे नामी ब्रांड्स जैसे अमूल, मदर डेयरी या पतंजलि के फर्जी लेबल लगाकर बाजार में बेचने की तैयारी कर रहे थे. पुलिस टीम ने तुरंत छापा मारा. फैक्ट्री पहुंचते ही दो संदिग्ध मिले, जो घी मिक्स करने में जुटे थे. दोनों ने हड़बड़ा कर सफाई दी, लेकिन सबूतों के सामने टिक न सके.
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सतेंद्र (44 वर्ष) निवासी सोनीपत, हरियाणा और पर्वीन (29 वर्ष) निवासी बख्तावाड़ गांव रोहतक, हरियाणा के रूप में हुई. पूछताछ में उन्होंने कबूला कि यह धंधा पिछले कई महीनों से फल-फूल रहा था. सतेंद्र मास्टरमाइंड था, जो हरियाणा से कच्चा माल लाकर दिल्ली में प्रोसेसिंग करता था और परवीन उसका साथी था, जो पैकिंग और डिस्ट्रीब्यूशन संभालता था.
दोनों ने बताया कि एक लीटर नकली घी बनाने का खर्च महज 100-150 रुपये आता है, जबकि बाजार में 500-600 रुपये में बेचा जाता है. इससे लाखों का मुनाफा हो रहा था. वे दिल्ली-एनसीआर की दुकानों, डेयरी और होलसेलर्स को सप्लाई करते, खासकर त्योहारों में.













