इसराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के बीच बंधकों के परिवार एक बार फिर गहरी निराशा में हैं. उन्हें उम्मीद थी कि युद्धविराम या अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच उनके प्रियजनों के शव जल्द लौटेंगे, लेकिन अब तक बहुत कम प्रगति हुई है.
हमास की ओर से शवों की धीमी रिहाई ने परिवारों के गुस्से को और भड़का दिया है, जबकि इसराइली समाज में यह सवाल गूंज रहा है कि इतने दिनों बाद भी इतने कम शव क्यों लौटे.
बंधकों के शव लौटाने में सुस्ती से बढ़ा गुस्सा
सोमवार रात हमास ने चार शव इसराइल को सौंपे, और मंगलवार देर रात चार और शव लौटाए गए. अब तक मारे गए 28 बंधकों में से केवल आठ शव ही वापस आए हैं. परिवारों का कहना है कि इतने लंबे इंतजार के बाद भी यह संख्या बेहद निराशाजनक है. बंधक परिवारों के संगठन ने इसे ‘मानवता के प्रति असंवेदनशीलता’ बताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है.
तीन शवों की हुई पहचान
मंगलवार को लौटाए गए चार शवों में से तीन की पहचान उरिएल बारुख, तामिर निमरोडी और ईतान लेवी के रूप में की गई. उरिएल बारुख को 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास हमले के दौरान Nova म्यूजिक फेस्टिवल से अगवा किया गया था.
तामिर निमरोडी गाजा में मानवीय सहायता की देखरेख करने वाली इसराइली रक्षा इकाई में तैनात थे और Erez बॉर्डर क्रॉसिंग से अगवा किए गए थे. तीसरे बंधक ईतान लेवी की पहचान की पुष्टि के बाद उनके परिवार ने कहा, ‘हमने अपने बेटे को युद्ध में खोया नहीं, बल्कि अमानवीयता में खो दिया.’
7 अक्टूबर का हमला बना युद्ध का ट्रिगर
7 अक्टूबर 2023 का दिन अब भी इसराइल की यादों में जख्म की तरह है. उसी दिन हमास ने इसराइल पर सबसे बड़ा हमला किया था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई और कई नागरिकों को बंधक बना लिया गया. उसी घटना ने गाजा में चल रहे युद्ध की शुरुआत की. इसके बाद से अब तक सैकड़ों बंधक या तो मारे जा चुके हैं या उनका कोई सुराग नहीं मिला है.
‘अब और इंतजार नहीं’
बंधकों के परिवारों ने इसराइली सरकार से कहा है कि वह शवों की वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दे. एक बंधक की मां ने कहा – ‘हमें हमारे अपने चाहिए, चाहे वे जिंदा हों या नहीं’. वहीं, इसराइल सरकार ने कहा है कि वह हर संभव कूटनीतिक प्रयास कर रही है. अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद भी हमास के रुख में कोई नरमी नहीं दिख रही. परिवारों का कहना है कि अब यह केवल युद्ध नहीं, बल्कि इंसानियत की परीक्षा बन चुकी है.
हमास और इसराइल के बीच जारी संघर्ष में बंधक परिवारों की उम्मीदें हर गुजरते दिन के साथ कम होती जा रही हैं. शवों की सीमित रिहाई ने न केवल मानवीय संकट को गहरा किया है बल्कि दोनों पक्षों के बीच अविश्वास को भी बढ़ाया है. अब देखना होगा कि क्या आने वाले दिनों में यह जंग इंसानियत की दिशा में कोई राहत लाती है या नहीं.