Ladakh Violence: लद्दाख के शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं, उन्होंने लेह में 24 सितंबर को हुए प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद एक पूर्व सैनिक सहित चार लोगों की हत्या की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है. यह प्रदर्शन राज्य का दर्जा बहाल करने और छठे शेड्यूल को लागू करने की मांग को लेकर हुआ था, जो हिंसक हो गया.
वांगचुक का संदेश उनके भाई का त्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी के जरिए बाहर आया, जिन्होंने शनिवार को जेल में उनसे मुलाकात की. संदेश में वांगचुक ने कहा कि जब तक स्वतंत्र न्यायिक जांच नहीं होती, वे जेल में रहने को तैयार हैं. उन्होंने लद्दाख की जनता से अपील की कि वे संघर्ष को शांति और एकता के साथ जारी रखें और इसे पूरी तरह गांधीवादी और अहिंसक तरीके से आगे बढ़ाएं. वांगचुक ने कहा कि उनकी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं और घायल तथा गिरफ्तार लोगों के लिए उनकी दुआएं हैं.
इन मांगों का किया समर्थन
सोनम वांगचुक, जो रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता भी हैं, उन्होंने लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) की मांगों का समर्थन किया है. इन दोनों संगठनों ने छठे शेड्यूल को लागू करने और लद्दाख को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘एपेक्स बॉडी लद्दाख के हित में जो भी कदम उठाएगी, मैं पूरे दिल से उसके साथ हूं.’ इस बीच, लेह एपेक्स बॉडी और KDA ने 6 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ होने वाली वार्ता से खुद को अलग कर लिया है.
तत्काल रिहाई की उठी मांग
संगठनों का कहना है कि वे न्यायिक जांच और सभी गिरफ्तार लोगों की तुरंत और बिना शर्त रिहाई की मांग से पीछे नहीं हटेंगे. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वांगचुक की पत्नी गीताांजलि जे अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें उनकी NSA के तहत की गई गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ बताया गया है और तत्काल रिहाई की मांग की गई है.