दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर लोकसभा में नहीं हुई चर्चा, सरकार-विपक्ष ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

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नई दिल्ली: आज यानी गुरुवार को लोकसभा में दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण पर होने वाली बहस नहीं हो पाई, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच हंगामा और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. यह चर्चा जी राम जी बिल पास होने के बाद होनी थी, लेकिन बहस शुरू होने से पहले ही सदन स्थगित कर दिया गया, जिससे यह मुद्दा अनसुलझा रह गया. 

सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जानबूझकर चर्चा को रोकने का आरोप लगाया. सरकारी नेताओं ने दावा किया कि विपक्ष प्रदूषण पर बहस करने को लेकर गंभीर नहीं था, जबकि विपक्षी पार्टियों ने कहा कि बिना किसी चेतावनी के अचानक सदन स्थगित कर दिया गया. इस अप्रत्याशित स्थगन से तैयारियों में बाधा आई, जिसमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का एक तय भाषण भी शामिल था.

सदन स्थगित होने पर तनाव 

संसद के अंदर तनाव तब बढ़ गया जब कई कांग्रेस सांसद स्पीकर की कुर्सी के पास मेजों पर चढ़ गए और बहस की अनुमति देने की मांग करने लगे. विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे लंच के बाद प्रदूषण संकट पर बोलने के लिए पूरी तरह तैयार थे. एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि चूंकि सदन जल्दी स्थगित कर दिया गया, इसलिए विपक्ष के पास अगले सत्र में इस मुद्दे को उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

प्रियंका गांधी ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर प्रदूषण पर सार्थक चर्चा से बचने का आरोप लगाया. जवाब में, प्रियंका गांधी ने संसद के बाहर कहा कि अब इस मुद्दे पर अगले सत्र में चर्चा होगी. पहले की योजनाओं के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से शाम को बहस का जवाब देने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दिल्ली-NCR की AQI खराब

यह राजनीतिक टकराव ऐसे समय में हुआ है जब दिल्ली और आसपास के कई शहर खतरनाक हवा की गुणवत्ता से जूझ रहे हैं. पूरे क्षेत्र में घना कोहरा रोजमर्रा की जिंदगी, स्वास्थ्य और विजिबिलिटी को प्रभावित कर रहा है. इस चिंताजनक स्थिति के जवाब में, सरकार ने गुरुवार से दिल्ली में गैर-BS VI वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

दिल्ली की हवा पर सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को दखल दिया और अपने पहले के आदेश में बदलाव किया. इसने दिल्ली-एनसीआर अधिकारियों को पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी जो उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं करते हैं. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि BS-IV पेट्रोल वाहनों पर तुरंत कोई कार्रवाई नहीं होगी.

इन प्रतिबंधों का असर बहुत बड़ा होने की उम्मीद है. अकेले गुरुग्राम में, लगभग दो लाख निजी वाहन BS-VI मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं. हजारों व्यावसायिक वाहन और बसें भी प्रभावित होंगी. एनसीआर में रोजाना यात्रा पर निर्भर रहने वाले कई निवासी अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये नियम उनके काम और दिनचर्या को कैसे प्रभावित करेंगे. जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ रहा है, राजनीतिक सहमति की कमी ने नागरिकों के बीच गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं.

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