राजस्थान: राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने रविवार (26 अक्टूबर) को जयपुर के संत दुर्लभजी हॉस्पिटल का दौरा किया. उन्हें दौसा के बालाजी इलाके के एक परिवार से गंभीर शिकायत मिली थी. हॉस्पिटल में मरे विक्रम के परिवार ने दावा किया कि हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन उसकी बॉडी देने से मना कर रहा है क्योंकि कुछ पेमेंट अभी बाकी है.
मंत्री मीणा ने कहा कि इस हॉस्पिटल के लिए जमीन सरकार ने सिर्फ एक रुपये में दी थी, फिर भी हॉस्पिटल मरीजों से भारी बिल मांग रहा है. उन्होंने बताया कि विक्रम 13 अक्टूबर को भर्ती हुआ था और उसने अपने इलाज के लिए पहले ही ₹6.39 लाख दे दिए थे. बदकिस्मती से, ऑपरेशन के बाद उसकी मौत हो गई, लेकिन हॉस्पिटल ने फिर भी उसके परिवार से बॉडी देने से पहले ₹1.79 लाख और देने को कहा.
गुस्सा हुए मंत्री मीणा
जब मंत्री हॉस्पिटल पहुंचे तो मैनेजमेंट आखिरकार बॉडी देने के लिए मान गया. हालांकि, मंत्री मीणा ने इस घटना पर बहुत गुस्सा दिखाया और पुलिस को हॉस्पिटल अधिकारियों के खिलाफ इस तरह के बर्ताव के लिए शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया. विक्रम के परिवार ने रिपोर्टर्स को बताया कि उन्हें उसकी बॉडी देखने के लिए भी हॉस्पिटल से बहुत बहस करनी पड़ी.
लाश में से क्यों आ रही थी बदबू?
जब उन्होंने आखिरकार बॉडी देखी, तो उन्हें एक बदबू महसूस हुई जिससे उन्हें शक हुआ कि विक्रम की मौत हॉस्पिटल की बताई गई तारीख से बहुत पहले हो गई थी. बालाजी पुलिस स्टेशन के एक पुलिस ऑफिसर, गोविंद सिंह ने भी कन्फर्म किया कि जब वे शनिवार शाम करीब 7 बजे हॉस्पिटल पहुंचे, तो इंचार्ज डॉक्ट, डॉ. विजयंत शर्मा ने ₹1.79 लाख के पेंडिंग पेमेंट के बिना बॉडी देने से मना कर दिया.
ओवरबिलिंग की दूसरी शिकायतें
यह कोई अकेला मामला नहीं था. मिनिस्टर मीणा ने कहा कि उन्हें ऐसी ही कई शिकायतें मिली हैं. जैसे, मोनू मीणा जो 14 अक्टूबर को एपेक्स हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे, उन्हें सिर्फ एक दिन के इलाज के बाद ₹8.5 लाख का बिल दिया गया. महात्मा गांधी हॉस्पिटल में भर्ती एक और मरीज, काजल को भी कई लाख का बिल दिया गया. हनुमानगढ़ की डिस्ट्रिक्ट चीफ कविता मेघवाल ने मिनिस्टर से मिलकर शिकायत की कि उनकी बहू कौशल्या भाटिया से एक हॉस्पिटल ने करीब ₹6 लाख लिए हैं.
मिनिस्टर का बयान
मिनिस्टर मीणा ने कहा कि इनमें से कई पेशेंट मुख्यमंत्री चिरंजीवी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत एलिजिबल थे, लेकिन हॉस्पिटल ने उन्हें सरकारी प्लान से नहीं जोड़ा था. उन्होंने प्राइवेट हॉस्पिटल पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर इस स्कीम से बच रहे हैं ताकि पेशेंट से सीधे पैसे ले सकें और कहा कि यह राज्य सरकार को बदनाम करने की एक सोची-समझी कोशिश है.














