अमेरिका में दो अलग-अलग जगहों पर एक ही दिन में हुई गोलीबारी ने लोगों में डर और चिंता बढ़ा दी है. मिशिगन के ग्रैंड ब्लांक में मॉरमोन चर्च पर हमले में कई लोग घायल हुए, जबकि उत्तर कैरोलिना के साउथपोर्ट में नाव से तट पर गोलियां चलाकर तीन लोगों की हत्या की गई. अमेरिकी अधिकारियों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और जांच शुरू कर दी है.
मिशिगन के ग्रैंड ब्लांक शहर में चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर-डे सेंट्स पर गोलीबारी हुई. यह शहर डेट्रॉइट से लगभग 50 मील उत्तर में स्थित है. स्थानीय पुलिस के अनुसार, गोलीबाज को घटना स्थल पर ही गिरा दिया गया और फिलहाल कोई खतरा जारी नहीं है. चर्च के आसपास पार्किंग और बड़ा लॉन है, साथ ही पास में निवासीय क्षेत्र और एक जिहोवा की गवाहों की चर्च भी मौजूद है. घटना के समय चर्च में लोगों की मौजूदगी की संख्या स्पष्ट नहीं हो पाई है.
अमेरिकी अधिकारियों की प्रतिक्रिया
यूएस अटॉर्नी जनरल पामेला बिंडी ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्हें ग्रैंड ब्लांक में मॉरमोन चर्च पर गोलीबारी और आग लगने की जानकारी मिल रही है. उन्होंने कहा कि एफबीआई और एटीएफ एजेंट मौके पर रवाना हो गए हैं. उन्होंने कहा, ‘एक पूजा स्थल पर इस तरह का हिंसक हमला दिल दहला देने वाला और डरावना है. पीड़ितों के लिए प्रार्थना करें.’
उत्तर कैरोलिना साउथपोर्ट हमला
यह हमला मिशिगन घटना से कुछ घंटे पहले ही हुआ. साउथपोर्ट में नाव से तट पर गोलियां चलाकर तीन लोगों की हत्या की गई और पांच अन्य घायल हुए. पुलिस ने इसे ‘पूर्व नियोजित हमला’ बताया. पुलिस प्रमुख टॉड कोरिंग के अनुसार, नाइजल एज नामक व्यक्ति ने ओक आइलैंड से नाव चलाकर अमेरिकी फिश कंपनी के पास इकट्ठा हुए लोगों पर गोलीबारी की. वह थोड़ी देर रुका, गोलियां चलाई और फिर तेजी से नाव लेकर भाग गया.
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा उपाय
दोनों घटनाओं के बाद स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है. ग्रैंड ब्लांक में पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है और आसपास के इलाके को सुरक्षित किया. वहीं, साउथपोर्ट में गोलीबारी की जांच जारी है और संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है. अधिकारियों ने घायलों का इलाज और पीड़ितों के परिवारों को सहयोग देने की व्यवस्था की है.
वैश्विक चिंता और अमेरिका में प्रतिक्रिया
दोनों हमलों ने अमेरिका में सुरक्षा और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा पर नई बहस शुरू कर दी है. एफबीआई और एटीएफ की जांच से उम्मीद है कि हमलों के पीछे के कारण और दोषियों की पहचान जल्दी हो सके. विशेषज्ञों का कहना है कि इन घटनाओं ने धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है.