यूक्रेन की NATO में नो एंट्री, लेकिन…ट्रंप के इस फैसले से खुश हुए जेलेंस्की

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में बीते तीन दिनों में कूटनीतिक स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. भले ही जमीन पर कोई खास स्थिति न बदली हो, लेकिन अमेरिका और रूस की बैठकों ने नए संभावित समाधान के संकेत दिए हैं. खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बातचीत के बाद हालात में हलचल तेज हो गई है.

अमेरिका की सुरक्षा गारंटी का ऐलान

बैठक के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को विशेष सुरक्षा गारंटी देने की पेशकश की है. इसे लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया है. उन्होंने कहा कि यह कदम युद्धग्रस्त यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुरक्षा गारंटी केवल औपचारिक न होकर व्यवहारिक होनी चाहिए और इसे यूरोपीय साझेदारों के सामूहिक सहयोग से लागू किया जाना चाहिए.

जेलेंस्की की उम्मीदें

जेलेंस्की ने कहा कि सुरक्षा गारंटी केवल कागजों तक सीमित न रहे बल्कि जमीन, हवा और समुद्र – तीनों मोर्चों पर सुरक्षा प्रदान करे. उन्होंने भरोसा जताया कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे सहयोगी देशों के समर्थन से यूक्रेन की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी.

यूरोपीय देशों की सहमति

रविवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस बैठक को उत्पादक बताते हुए जेलेंस्की ने कहा कि सभी देश इस बात पर सहमत हैं कि किसी भी राज्य की सीमाओं को बलपूर्वक नहीं बदला जा सकता. यह बयान रूस के लगातार आक्रामक रुख के बीच काफी मायने रखता है.

नाटो सदस्यता पर रोक

ट्रंप प्रशासन ने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल यूक्रेन को नाटो की सदस्यता नहीं दी जाएगी. इसके बावजूद अमेरिका ने कीव को नाटो जैसी सुरक्षा देने की बात कही है. अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में बयान दिया था कि यूक्रेन को अनुच्छेद 5 जैसी सुरक्षा प्रदान की जा सकती है. यह पहली बार है जब रूस भी इस दिशा में बातचीत को लेकर सहमत नजर आया है.

अनुच्छेद 5 की अहमियत

नाटो संधि का अनुच्छेद 5 बेहद महत्वपूर्ण है. इसके अनुसार, यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाता है और सभी मिलकर उसका मुकाबला करते हैं. यही वजह है कि पुतिन हमेशा से यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का विरोध करते आए हैं. उनका मानना है कि ऐसा होने पर रूस सीधे नाटो देशों के साथ टकराव में आ जाएगा.

कूटनीति से समाधान की ओर संकेत

अमेरिका और रूस की इस नई पहल ने युद्ध के बीच उम्मीद की एक नई किरण जगाई है. भले ही जमीनी स्तर पर संघर्ष जारी है, लेकिन सुरक्षा गारंटी पर सहमति की दिशा में उठे कदम से भविष्य में स्थायी समाधान की संभावना बढ़ी है. यूक्रेन को अब भरोसा है कि सामूहिक प्रयासों से उसकी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा हो सकेगी.

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