भारत ऊर्जा आयात पर भारी निर्भर है 88% तेल और करीब 50% गैस विदेश से आती है. ऐसे में अंडमान सागर में ऑयल इंडिया की यह खोज एक बड़े बदलाव का संकेत मानी जा रही है. शुरुआती परीक्षण में जिस नेचुरल गैस की मौजूदगी मिली है, वह आने वाले समय में भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने जानकारी दी कि अंडमान शैलो ऑफशोर ब्लॉक AN-OSHP-2018/1 में विजयपुरम-2 नामक कुएं की खुदाई के दौरान गैस का प्रवाह मिला. यह वही ब्लॉक है जिसे कंपनी ने ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के तहत हासिल किया था. कंपनी का कहना है कि गैस का यह पहला ठोस संकेत है और इसे भविष्य की खोजी रणनीति में अहम माना जा रहा है.
शुरुआती परीक्षण में क्या मिला
गैस का नमूना शुरुआती उत्पादन परीक्षण के दौरान निकाला गया, जिसे बाद में काकीनाडा ले जाकर जांचा गया. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि परीक्षण में 87% मीथेन की पुष्टि हुई है. कुएं की गहराई 2,650 मीटर तक है और यह अंडमान के पूर्वी तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है. इस दौरान गैस की अस्थायी फ्लेयरिंग भी दर्ज की गई.
ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाने की उम्मीद
भारत फिलहाल ऊर्जा के लिए भारी आयात पर निर्भर है. ऐसे में अंडमान की खोज को विशेषज्ञ एक बड़ी संभावना के रूप में देख रहे हैं. ONGC ने भी इसी क्षेत्र में अल्ट्रा-डीपवॉटर ड्रिलिंग शुरू की थी, लेकिन अब तक उसके नतीजे सार्वजनिक नहीं हुए हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह खोज म्यांमार से लेकर इंडोनेशिया तक फैले गैस समृद्ध क्षेत्र की निरंतरता को दर्शाती है.
क्या है आगे का रास्ता?
ऑयल इंडिया का कहना है कि अब और ऊपरी हिस्सों के परीक्षण किए जाएंगे, ताकि गैस भंडार के आकार और उसकी व्यावसायिकता का पता लगाया जा सके. कंपनी ने साफ किया है कि यह तो बस शुरुआत है, असली तस्वीर आने वाले महीनों में स्पष्ट होगी. ऊर्जा मंत्रालय का मानना है कि यदि अंडमान में बड़े भंडार साबित होते हैं, तो भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ सकता है.