अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तुर्की में चल रही शांति वार्ता अब विवादों में घिर गई है. इस दौरान पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया कि अफगानिस्तान में हो रहे ड्रोन हमलों को रोकने में वह असमर्थ है क्योंकि इसके पीछे एक गुप्त विदेशी समझौता है,
यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में इस्लामाबाद ने अमेरिका और सऊदी अरब के साथ अपने रक्षा संबंध मजबूत किए हैं. इससे क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका फिर बढ़ गई है.
पाकिस्तान का चौंकाने वाला कबूलनामा
अंकारा में हुई वार्ता के दौरान पाकिस्तान ने माना कि उसके पास एक देश के साथ ऐसा समझौता है, जिसके तहत अफगानिस्तान में ड्रोन हमले किए जा रहे हैं. अफगान मीडिया TOLO न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस समझौते को तोड़ना संभव नहीं है, इसलिए वे हमलों को रोक नहीं सकते. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वह देश कौन सा है, जिससे यह समझौता किया गया है.
वार्ता में गतिरोध और आपसी अविश्वास
वार्ता में अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के बीच तीखी बहस हुई. अफगान पक्ष ने पाकिस्तान पर सीमा पार हमलों का आरोप लगाया, जबकि पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमलों का हवाला देते हुए अफगान क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई का अधिकार मांगा. रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी दल असमंजस में दिखा और बातचीत से पीछे हटता नजर आया. नतीजतन, शांति वार्ता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी.
अमेरिका और सऊदी अरब से बढ़ते रिश्ते
यह खुलासा ऐसे वक्त में हुआ है जब पाकिस्तान ने सितंबर में सऊदी अरब के साथ एक ‘रणनीतिक रक्षा समझौते’ पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच भी रक्षा संबंध मजबूत हो रहे हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से व्हाइट हाउस में मिले थे. ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से बगराम एयरबेस वापस पाने की मांग की थी और कहा था कि ‘अगर ऐसा नहीं हुआ तो परिणाम गंभीर होंगे.’
हालिया संघर्ष और हताहत
सितंबर में दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया था, जब TTP के हमलों के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के काबुल और कंधार में हवाई हमले किए. ड्रोन और JF-17 लड़ाकू विमानों से हुए हमलों में 200 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. जवाब में अफगान बलों ने ड्यूरंड लाइन के पास पाकिस्तानी चौकियों पर गोले दागे, जिसमें 23 सैनिक मारे गए. भारी दबाव के बाद दोनों देशों ने 48 घंटे का अस्थायी युद्धविराम किया.
वार्ता का नतीजा और भविष्य की चिंता
इस्तांबुल में हुई यह शांति वार्ता बिना किसी ठोस समझौते के समाप्त हो गई. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर विफलता का आरोप लगाया. विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के ‘गुप्त ड्रोन समझौते’ के खुलासे ने शांति प्रयासों को गंभीर झटका दिया है. अगर यह स्थिति बरकरार रही, तो क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता और बढ़ सकती है.
















