Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां माता-पिता के कर्ज न चुका पाने पर उनके सात साल के बेटे गोविंद को 6 साल तक बंधक बना कर रखा गया. मामला शाहपुर थाना क्षेत्र का है, जहां 2019 में गोविंद के माता-पिता, गंजू उईके और सरिता उईके ने ठेकेदार रूपेश शर्मा से 50 हजार रुपये का कर्ज लिया था. कर्ज नहीं चुका पाने के कारण ठेकेदार ने मासूम को मवेशी चराने और घर के कामों में झोंक दिया.
माता-पिता ने कई बार बेटे को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन ठेकेदार ने हमेशा उसे लौटाने से इंकार कर दिया. आखिरकार, जन साहस संस्था की सामाजिक कार्यकर्ता पल्लवी ठकराकर को इस अमानवीय कृत्य की जानकारी मिली और उन्होंने प्रशासन को सूचित किया. बैतूल प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस की मदद से गोविंद को बंधन से मुक्त कराया.
बाल श्रम अधिनियम और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट
जब बचाव टीम ने ठेकेदार के घर पर दबिश दी, तो ठेकेदार का भाई मुकेश शर्मा बच्चे को खेत में छिपाने की कोशिश करने लगा, लेकिन पुलिस ने उसे सुरक्षित रूप से रेस्क्यू कर लिया. इसके बाद ठेकेदार रूपेश शर्मा के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
गोविंद को क्यों भेजा बालगृह?
हालांकि, गोविंद को मुक्त कराने के बाद सबसे बड़ी समस्या उसकी पहचान से जुड़ी दस्तावेजों की कमी है. गोविंद के माता-पिता के पास उसके जन्म प्रमाण पत्र का कोई दस्तावेज नहीं है, जिस कारण उसे बालगृह भेजा गया. गोविंद की मां सरिता का कहना है, ‘बेटे को छोड़कर आना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द है, मुझे उम्मीद थी कि उसे रेस्क्यू करने के बाद मैं वापस पा लूंगी, लेकिन दस्तावेजों की कमी ने सब कुछ बदल दिया.’ यह घटना समाज के सामने एक गहरी चिंता का विषय है. प्रशासन अब दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है ताकि गोविंद को जल्द से जल्द उसके माता-पिता के पास वापस भेजा जा सके.















