एक्सिओम मिशन 4 के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने बताया कि इस यात्रा से उन्हें भारत के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव मिले हैं. गौरतलब है शुक्ला ने 25 जून 2023 को NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर उड़ान भरी थी और 15 जुलाई 2023 को कैलिफोर्निया के तट पर वापसी की थी. इसके बाद, शुक्ला 17 अगस्त को भारत लौटे और अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले.
शुभांशु शुक्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक्सिओम मिशन 4 को सफल बनाने में सरकार, ISRO और सभी संबंधित व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा ‘यह मिशन कई लोगों की मेहनत का परिणाम है, और सबसे पहले मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने इस मिशन को संभव बनाने के लिए योजना बनाई. ISRO को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. साथ ही, उन शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों का भी आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इस मिशन के लिए अपने प्रयोग तैयार किए. उनका योगदान बेहद मूल्यवान है.’
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर शुक्ला का अनुभव
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपने समय के बारे में शुक्ला ने विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान उन्हें कई प्रयोग करने और तस्वीरें तथा वीडियो कैप्चर करने का कार्य सौंपा गया था. ‘हम Falcon 9 रॉकेट के ऊपर उड़ रहे थे… Crew Dragon वह यान है जो मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेज सकता है. इस मिशन में मेरी भूमिका मिशन पायलट की थी. Crew Dragon में चार सीटें थीं, और मुझे कमांडर के साथ काम करते हुए यान के सिस्टम से जुड़ना था. हमारे पास भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए प्रयोगों को अंजाम देने का कार्य था, साथ ही हमें STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) डेमोंस्ट्रेशन करना था और अंतरिक्ष की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करना था.’
गगनयान मिशन के लिए अनुभव लाभकारी
शुभांशु शुक्ला ने बताया कि ISS में बिताया समय उनके लिए और भारत के गगनयान मिशन के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगा. उन्होंने कहा ‘मानव अंतरिक्ष मिशन का लाभ सिर्फ प्रशिक्षण से कहीं अधिक है. जो ज्ञान हम वहां रहते हुए प्राप्त करते हैं, वह अनमोल होता है. मैंने जो जानकारी इकट्ठी की है, वह हमारे गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) के मिशनों के लिए बहुत सहायक होगी. बहुत जल्द हम अपने खुद के यान से, अपनी मिट्टी से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे. यह अनुभव पृथ्वी पर जो सीखते हैं, उससे बहुत अलग है. अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर में बहुत बदलाव होते हैं, और यह समझ पाना कि गुरुत्वाकर्षण में वापस कैसे रहना है, काफी चुनौतीपूर्ण होता है.’
गगनयान और भारत के अंतरिक्ष मिशन
भारत की योजना है कि वह गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भारत में निर्मित अंतरिक्ष यान में भेजे. शुक्ला का अनुभव इस दिशा में एक बड़ा कदम है. शुक्ला ने कहा ‘हम जल्द ही अपने खुद के रॉकेट और यान से अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजेंगे. यह हमारे लिए गर्व की बात होगी, और भारत चौथा देश बनेगा, जिसने अपने ही यान से इंसान को अंतरिक्ष में भेजा.’ भारत इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करके दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अपने अंतरिक्ष यान से मानव अंतरिक्ष मिशन का संचालन किया है.