Amit Malviya Allegations: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर चुनावी कानून के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है. मालवीय का दावा है कि सोनिया गांधी का नाम भारत की मतदाता सूची में उस समय दो बार शामिल हुआ, जब वो भारतीय नागरिक भी नहीं थीं.
मालवीय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि ये मामला चुनावी नियमों की खुली अवहेलना का उदाहरण है और शायद यही कारण है कि राहुल गांधी भी ऐसे मतदाताओं को वैध ठहराने के पक्ष में रहते हैं, जो अयोग्य या अवैध हैं. उन्होंने ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) का विरोध करने पर भी राहुल गांधी पर निशाना साधा.
1980 में पहली बार मतदाता सूची में नाम
अमित मालवीय के अनुसार, सोनिया गांधी का नाम पहली बार साल 1980 में मतदाता सूची में जोड़ा गया, जबकि उस समय वे इटली की नागरिक थीं और उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली थी. उस दौरान गांधी परिवार 1, सफदरजंग रोड स्थित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सरकारी आवास में रहता था. उस पते पर पहले से इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी के नाम मतदाता सूची में दर्ज थे.
मालवीय ने बताया कि 1980 में नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की मतदाता सूची का पुनरीक्षण हुआ, जिसमें 1 जनवरी 1980 को ‘योग्यता तिथि’ मानकर संशोधन किया गया और सोनिया गांधी का नाम पोलिंग स्टेशन 145 में क्रम संख्या 388 पर दर्ज कर दिया गया.
नागरिकता से पहले दोबारा नाम जोड़े जाने का दावा
मालवीय के अनुसार, 1982 में विवाद के बाद सोनिया गांधी का नाम सूची से हटा दिया गया, लेकिन 1983 में इसे फिर से जोड़ा गया. इस बार उनका नाम पोलिंग स्टेशन 140 में क्रम संख्या 236 पर दर्ज हुआ. उन्होंने बताया कि 1983 की संशोधित सूची के लिए 1 जनवरी 1983 को ‘योग्यता तिथि’ माना गया, जबकि सोनिया गांधी को भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को मिली थी. यानी उस समय भी वे भारतीय नागरिक नहीं थीं, फिर भी उनका नाम मतदाता सूची में मौजूद था.
’15 साल बाद ली भारतीय नागरिकता’
अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने राजीव गांधी से शादी के 15 साल बाद जाकर ही भारतीय नागरिकता क्यों ली. उन्होंने इसे चुनावी गड़बड़ी (Electoral Malpractice) का गंभीर मामला बताया और कहा कि एक ही व्यक्ति का नाम दो बार, वो भी बिना नागरिकता के, मतदाता सूची में होना लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है.