राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिला झटका, SIT जांच की मांग वाली याचिका हुई खारिज

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Vote Theft Supreme Court petition: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका अधिवक्ता रोहित पांडे ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI जांच कराने की मांग की थी. सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में चुनाव आयोग यानी ECI से संपर्क कर सकते हैं.

अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा. रोहित पांडे की याचिका राहुल गांधी के 7 अगस्त को दिए गए उस प्रेस कॉन्फ्रेंस बयान पर आधारित थी. जिसमें उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत से चुनावों में ‘बड़े आपराधिक धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने दावा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा सीट में एक लाख से ज्यादा वोट चोरी हुए हैं.

इन राज्यों में भी लगाया गड़बड़ियों का आरोप

उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में बताया था कि वहां 11,965 डुप्लीकेट वोटर, 40,009 फर्जी पते वाले वोटर, 10,452 एक ही पते से जुड़े वोटर, 4,132 अमान्य फोटो वाले वोटर और 33,692 वोटर ऐसे थे जिन्होंने नए वोटरों के लिए बने फॉर्म-6 का गलत इस्तेमाल किया. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र और हरियाणा में भी इसी तरह की गड़बड़ियों का आरोप लगाया था, खासकर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद.

चुनाव आयोग ने आरोपों को किया खारिज 

हालांकि, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने किसी भी राज्य में मतदाता सूची को लेकर कोई औपचारिक दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी. आयोग ने उन्हें याद दिलाया कि चुनाव परिणामों को चुनौती देने के लिए संबंधित हाईकोर्ट में औपचारिक चुनाव याचिका दायर करनी होती है.

झूठे साक्ष्य देने पर हो सकती है कार्रवाई

आयोग की तीनों राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा की इकाइयों ने राहुल गांधी से कहा कि वे आरोपों का समर्थन करने वाले सबूत शपथपत्र के साथ जमा करें, अन्यथा झूठे साक्ष्य देने पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 227 के तहत कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने 2004 से लोकसभा सदस्य गांधी को याद दिलाया कि चुनाव परिणामों को केवल उपयुक्त उच्च न्यायालय में दायर एक औपचारिक चुनाव याचिका के माध्यम से ही चुनौती दी जा सकती है.

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