बिहार विधानसभा चुनाव के राजनीतिक सरगर्मी के बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव को केंद्र सरकार की ओर से Y-प्लस कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की गई है.
गृह मंत्रालय ने हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों की विशेष रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया है. इस सुरक्षा के तहत सीआरपीएफ के कमांडो तेज प्रताप यादव को 24 घंटे कवर देंगे. यह सुरक्षा उन्हें वीआईपी प्रोटेक्शन लिस्ट के तहत दी गई है.
गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला
गृह मंत्रालय ने तेज प्रताप यादव को केंद्रीय सुरक्षा घेरा देने का आदेश जारी किया है. इसके बाद सीआरपीएफ की एक विशेष टीम उन्हें सुरक्षा कवर प्रदान करेगी. सूत्रों के मुताबिक, हाल के दिनों में तेज प्रताप की सुरक्षा को लेकर एजेंसियों ने केंद्र को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें संभावित खतरे का उल्लेख था. उसी के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत Y-प्लस श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया.
तेज प्रताप ने खुद मांगी थी सुरक्षा
तेज प्रताप यादव ने हाल ही में कहा था कि बिहार की राजनीतिक स्थिति काफी अस्थिर है और यह कहना मुश्किल है कि कब और कहां से हमला हो जाए. इसी कारण उन्होंने केंद्र सरकार से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी. उनका कहना था कि विपक्षी दलों के बीच बढ़ती राजनीतिक खींचतान के बीच व्यक्तिगत सुरक्षा उनके लिए जरूरी है.
निर्वाचन आयोग में भी पहुंचे थे तेज प्रताप
तेज प्रताप हाल ही में चुनाव आयोग भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल से जुड़े एक विवाद पर शिकायत की थी. उन्होंने कहा कि पार्टी प्रत्याशी श्याम किशोर चौधरी ने बिना अनुमति महागठबंधन और वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी से समर्थन ले लिया. इस मामले में उन्होंने आयोग से श्याम किशोर का नामांकन रद्द करने की मांग की थी. आयोग ने उन्हें लिखित शिकायत देने को कहा था.
कैसी होती है Y-प्लस सुरक्षा
Y-प्लस सुरक्षा श्रेणी में कुल 11 सशस्त्र कमांडो तैनात किए जाते हैं. इनमें से पांच स्थायी सुरक्षाकर्मी वीआईपी के घर और आसपास सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं, जबकि छह पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) तीन शिफ्टों में दिन-रात सुरक्षा देते हैं. इस श्रेणी की सुरक्षा का खर्च केंद्र सरकार वहन करती है और इसका जिम्मा सीआरपीएफ को दिया जाता है.
बिहार चुनाव के बीच नई चर्चा
बिहार चुनाव के बीच तेज प्रताप यादव को Y-प्लस सुरक्षा मिलना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है. विपक्ष इसे ‘राजनीतिक सुरक्षा कवच’ बता रहा है, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह कदम एक नेता की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक था.















