अपनी ही सीट नहीं बचा पाए लालू के बागी तेज प्रताप, भाई को भी ले डूबे…जानें महुआ में किसकी हुई जीत?

महुआ विधानसभा सीट पर इस बार एलजेपी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह ने शानदार जीत दर्ज की. उन्हें 87,641 वोट मिले और उन्होंने राजद के मुकेश कुमार रोशन को लगभग 44,997 वोटों से हराया. मुकेश रोशन को 42,644 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे.

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Tej Pratap Yadav
Tej Pratap Yadav

पटना: महुआ विधानसभा सीट ने इस बार बिहार की राजनीति में खास दिलचस्पी पैदा की, क्योंकि यहां मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं था, बल्कि एक समय के लोकप्रिय नेता रहे तेज प्रताप यादव भी मैदान में थे. चुनावी नतीजों में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह ने बड़ी और साफ जीत हासिल की. उन्हें कुल 87,641 वोट मिले, जो इस सीट पर भारी जनसमर्थन का संकेत है.

दूसरे स्थान पर रहे राजद के उम्मीदवार मुकेश कुमार रोशन को 42,644 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर करीब 44,997 वोटों का था, जो बताता है कि मतदाताओं ने इस बार एलजेपी के पक्ष में मजबूत फैसला लिया. 

शुरुआती राउंड से ही संजय कुमार सिंह ने बनाए रखी बढ़त

संजय कुमार सिंह ने शुरुआती राउंड से ही बढ़त बनाए रखी थी और जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ती गई, उनकी बढ़त और मज़बूत होती चली गई. मतगणना के 18 राउंड पूरे होने तक उनके खाते में 63,117 वोट दर्ज हो चुके थे.

तेज प्रताप यादव को लगा बड़ा झटका

इस सीट पर सबसे ज्यादा चर्चा तेज प्रताप यादव की रही. तेज प्रताप ने 2015 में इसी महुआ सीट से पहला विधानसभा चुनाव जीता था और बड़े अंतर से विधायक बने थे. 2020 में उन्होंने हसनपुर सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की. लेकिन इस बार परिस्थिति अलग थी उन्होंने राजद से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई और उसी के टिकट पर फिर से महुआ सीट पर किस्मत आजमाई.

महुआ के मतदाताओं ने लालू के तेज को नकारा

हालांकि, 2025 के चुनाव में तेज प्रताप यादव को वैसा समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी. उन्हें कुल 35,703 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. यह अंतर बताता है कि इस बार महुआ के मतदाताओं ने उन्हें प्राथमिकता नहीं दी और नई राजनीतिक परिस्थितियों ने उनके जनाधार पर असर डाला. तेज प्रताप यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से भी 50 हजार से ज्यादा वोटों से पीछे रहे, जो उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक गंभीर संकेत माना जा रहा है.

दूसरी ओर, मुकेश रोशन 2020 में महुआ से राजद के टिकट पर जीत चुके थे और इस बार अपनी सीट बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. लेकिन गठबंधन की बदलती स्थिति और मतदाताओं के रुझान ने उनके लिए राह आसान नहीं रहने दी.

कुल मिलाकर, महुआ सीट पर मतदाताओं ने इस बार बड़े अंतर से एलजेपी उम्मीदवार को चुना और यहां का चुनावी मुकाबला राज्य की राजनीति का महत्वपूर्ण अध्याय बन गया.

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