तिरुपति के ब्रह्मोत्सवम में भक्तों ने किया दान, 8 दिनों में 25 करोड़ रुपये का आया चढ़ावा

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Tirumala Tirupati Temple
Tirumala Tirupati Temple

Tirumala Tirupati Temple: फेमस तिरुमाला तिरुपति मंदिर ने अपने ब्रह्मोत्सवम उत्सव के दौरान दान के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, आठ दिनों में ₹25.12 करोड़ का चढ़ावा (जिसे हुंडी कहा जाता है) एकत्र किया है. यह रिकॉर्ड तोड़ राशि 5.8 लाख भक्तों द्वारा दान की गई, जो भगवान वेंकटेश्वर (श्री वरु) का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर आए थे. यह रोमांचक खबर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अध्यक्ष बी.आर. नायडू ने गुरुवार को तिरुमाला के अन्नामय्या भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की.

1 अक्टूबर को संपन्न हुए भव्य ब्रह्मोत्सवम उत्सव में भारी भीड़ उमड़ी, लगभग छह लाख तीर्थयात्री मंदिर पहुंचे. इस पवित्र आयोजन से प्रेरित होकर भक्तों ने मंदिर की हुंडी में उदारतापूर्वक योगदान दिया, जिससे दान ₹25 करोड़ से अधिक हो गया. यह अविश्वसनीय उदारता तीर्थयात्रियों की दृढ़ आस्था और भक्ति को दर्शाती है.

26 लाख भक्तों को परोसा अन्न प्रसादम

हुंडी दान के अलावा, टीटीडी के अध्यक्ष बी.आर. नायडू ने उत्सव से जुड़े अन्य उल्लेखनीय आंकड़े भी बताए. आठ दिनों के दौरान, 26 लाख भक्तों को अन्न प्रसादम परोसा गया, जो मंदिर का पवित्र भोजन है. 2.4 लाख से ज्यादा भक्तों ने केसाधन अनुष्ठान में भाग लिया, जहां उन्होंने अपनी आध्यात्मिक भक्ति के रूप में भगवान को अपने बाल अर्पित किए. यह अनुष्ठान कई श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण परंपरा है. 

भक्तों को 28 लाख लड्डू बेचे

इसके अलावा, इस आयोजन के दौरान भक्तों को 28 लाख लड्डू (मंदिर का प्रसिद्ध प्रसाद) बेचे गए. नायडू ने सजावट में मंदिर के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जहाँ उत्सव के लिए मंदिर को सजाने के लिए 4,00,000 कटे हुए फूलों और 90,000 मौसमी फूलों सहित 60 टन फूलों का इस्तेमाल किया गया था.

6,976 कलाकारों ने आयोजन में लिया भाग

ब्रह्मोत्सव में पूरे भारत से शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं. 28 विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 298 सांस्कृतिक समूहों के कुल 6,976 कलाकारों ने इस आयोजन में भाग लिया, जिससे उपस्थित लोगों को एक विविध और रंगीन सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त हुआ.

भक्ति और एकता का प्रमाण

इस वर्ष का ब्रह्मोत्सव न केवल एक विशाल आध्यात्मिक आयोजन रहा, बल्कि भागीदारी, दान और सांस्कृतिक जीवंतता के मामले में भी एक बड़ी सफलता रही. यह उन लाखों तीर्थयात्रियों की भक्ति और एकता का प्रमाण है जो हर साल मंदिर में आते हैं.

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