जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में गुरुवार सुबह अचानक बादल फटने की घटना ने इलाके में दहशत फैला दी. इस घटना में 12 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है. यह स्थान एक प्रमुख तीर्थयात्रा मार्ग पर स्थित है, जहां इस समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं. घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है. प्रशासनिक अधिकारी नुकसान के आकलन में जुटे हैं, हालांकि अभी तक किसी आधिकारिक स्रोत से मृतकों या घायलों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है.
भारी नुकसान की आशंका
स्थानीय विधायक और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील कुमार शर्मा से सूचना मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा से स्थिति की जानकारी ली. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि चिशोती क्षेत्र में बादल फटने की इस भीषण घटना में बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान की आशंका है. उन्होंने कहा कि राहत और बचाव कार्यों के लिए टीमें तुरंत रवाना कर दी गई हैं और नुकसान के आकलन के साथ-साथ चिकित्सा सहायता भी मौके पर पहुंचाई जा रही है.
हरसंभव मदद सुनिश्चित की जाए
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने सिविल प्रशासन, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को राहत और बचाव कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जाएगी और राहत कार्यों की निगरानी लगातार की जा रही है. उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.
पहाड़ी राज्यों में लगातार बारिश का कहर
देश के पहाड़ी इलाकों, विशेषकर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी मानसून के चलते भारी तबाही हो रही है. उत्तराखंड के चमोली जिले में हाल ही में बादल फटने और भूस्खलन के कारण कई सड़कों पर यातायात अवरुद्ध हो गया. नंदप्रयाग क्षेत्र में मलबा और चट्टानों के गिरने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने जानकारी दी कि मलबा हटाने और सड़कें खोलने का काम तेजी से चल रहा है.
हर्षिल में भी बादल फटने से मची तबाही
5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के हर्षिल और धराली गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी, जिससे अचानक बाढ़ और भूस्खलन ने कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया. खीरगाड़ क्षेत्र में हुए भूस्खलन के बाद राहत सामग्री की आवाजाही के लिए एक अस्थायी पुल का निर्माण किया गया है.