मध्य प्रदेश में बच्चों की मौतों से जुड़ा कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामला अब एक गंभीर मेडिकल घोटाले का रूप ले चुका है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि जिन डॉक्टरों पर बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कंपनी से कमीशन लेकर वही दवा लिखी जिसने कई मासूमों की जान ले ली.
अदालत में पेश किए गए पुलिस के बयानों ने यह साफ कर दिया है कि यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि पेशेवर जिम्मेदारी और मानवता दोनों का घोर उल्लंघन है.
10% कमीशन के लिए बच्चों की जिंदगी से खेला
पुलिस ने जिला अदालत को बताया कि डॉक्टर प्रवीण सोनी ने स्वीकार किया है कि उन्हें कोल्ड्रिफ सिरप लिखने पर दवा कंपनी से 10% कमीशन मिलता था. पुलिस के अनुसार, आरोपी ने मरीज़ों की सुरक्षा की जगह निजी लाभ को प्राथमिकता दी. डॉक्टर का निजी क्लीनिक उसके ही परिजनों की मेडिकल शॉप के पास है, जो उसी सिरप का स्टॉकिस्ट भी है. इस रिश्ते ने कमीशन और बिक्री का एक नेटवर्क तैयार किया, जिसका खामियाजा निर्दोष बच्चों को भुगतना पड़ा.
खतरे की जानकारी के बाद भी जारी रखा इलाज
जांच में यह भी सामने आया कि डॉक्टर को यह जानकारी थी कि सिरप के सेवन से बच्चों में किडनी फेल्योर, पेशाब रुकना और गंभीर संक्रमण जैसी समस्याएं हो रही हैं. बावजूद इसके, उन्होंने न तो दवा कंपनी या स्वास्थ्य अधिकारियों को रिपोर्ट की और न ही मरीजों को चेताया. पुलिस का कहना है कि यह आपराधिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि चिकित्सा आचार संहिता का भी गंभीर उल्लंघन है. इस लापरवाही के कारण इलाज के दौरान 24 बच्चों की मौत हो चुकी है.
4 साल से कम बच्चों को दी गई प्रतिबंधित दवा
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक वरिष्ठ डॉक्टर होते हुए भी प्रवीण सोनी ने केंद्र सरकार की दिसंबर 2023 की गाइडलाइन की अनदेखी की. इस गाइडलाइन में स्पष्ट निर्देश था कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को ‘फिक्स डोज कॉम्बिनेशन’ (FDC) सिरप नहीं दिया जाए. फिर भी आरोपी ने छोटे बच्चों को वही दवा दी, जिससे कई मासूमों की मौत हुई. कोर्ट ने इसे एक ‘जानबूझकर की गई चिकित्सीय लापरवाही’ बताया.
कोर्ट ने खारिज की जमानत
8 अक्टूबर को जिला अदालत ने डॉक्टर प्रवीण सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि जांच अधूरी है और अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति का है. अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी के साथ, सरकार ने इस पूरे प्रकरण की गहन जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है, जो कमीशन नेटवर्क, दवा आपूर्ति श्रृंखला और डॉक्टरों की मिलीभगत की परतें खोलेगी.