करुर हादसे पर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सीबीआई जांच की मांग को किया खारिज

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Karur Stampede: मद्रास हाईकोर्ट ने करुर भगदड़ मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका तमिझगा वेत्रि कझगम (TVK) द्वारा दायर की गई थी. पार्टी ने तर्क दिया था कि स्थानीय स्तर पर जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो रही और भीड़ प्रबंधन में गंभीर लापरवाही के कारण यह त्रासदी हुई, इसलिए मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए.

मामला इस साल 27 सितंबर को करुर जिले में आयोजित विजय रैली का है, जहां भगदड़ मचने से 41 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे. यह हादसा तमिलनाडु में हाल के वर्षों की सबसे भीषण घटनाओं में से एक माना जा रहा है. हादसे के बाद प्रशासन ने स्थल की क्षमता, भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसे पहलुओं की जांच शुरू की थी.

निष्पक्ष जांच की मांग

याचिका में कहा गया था कि राज्य पुलिस की जांच पर्याप्त नहीं है और राजनीतिक दबाव में निष्पक्ष नतीजे नहीं आ पाएंगे लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि अभी तक की जांच में किसी भी तरह की लापरवाही या देरी का स्पष्ट सबूत नहीं मिला है. अदालत ने माना कि राज्य पुलिस जांच को सही दिशा में आगे बढ़ा रही है और इसलिए इस स्तर पर सीबीआई को जांच सौंपने का कोई आधार नहीं बनता.

पुलिस की है प्राथमिक जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी की भूमिका केवल उन्हीं मामलों में आवश्यक होती है जहां राज्य स्तर की जांच स्पष्ट रूप से असफल या पक्षपातपूर्ण साबित होती है. करुर हादसे के मामले में ऐसी कोई स्थिति नहीं पाई गई है. अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष और तेज जांच पूरी करे.

राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप हुए तेज

इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल करुर भगदड़ मामले की जांच स्थानीय पुलिस ही जारी रखेगी. राज्य सरकार पहले ही मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा कर चुकी है और घायलों के इलाज की व्यवस्था की गई है. हादसे के बाद राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हुए थे, लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि जांच प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई ठोस कारण नहीं है.

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